महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा ने कहा- निजी कोच रखना अंहकार नहीं, जरूरत है
मनिका बत्रा का मानना है कि निजी कोच रखना व्यक्तिगत खेल खेलने वाले एथलीट के लिए आधारभूत जरूरत है और अगर उन्हें टोक्यो ओलिंपिक के दौरान कोर्ट पर अपने कोच की मदद मिल जाती तो उनका प्रदर्शन बेहतर होता।
नई दिल्ली, प्रेट्र। स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा का मानना है कि निजी कोच रखना व्यक्तिगत खेल खेलने वाले एथलीट के लिए आधारभूत जरूरत है और अगर उन्हें टोक्यो ओलिंपिक के दौरान कोर्ट पर अपने कोच की मदद मिल जाती तो उनका प्रदर्शन बेहतर होता। निका ने कहा कि अधिकारियों को ओलिंपिक जैसे कई स्पर्धाओं के टूर्नामेंट में खिलाडि़यों के साथ निजी कोचों के जाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए जिसमें भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआइ) के अधिकारी भी शामिल हैं।
दुनिया की 56वें नंबर की खिलाड़ी ने कहा, 'टीम स्पर्धाओं के लिए मुख्य कोच ठीक है, लेकिन हमारे खेल में सिंगल्स स्पर्धा भी होती है जिसमें निश्चित रूप से खिलाड़ी को अपने कोच की जरूरत होती है क्योंकि वह खिलाड़ी की ट्रेनिंग और खेल के बारे में ज्यादा जानता है।' उन्होंने कहा कि भारतीय मुख्य कोच टीम प्रतियोगिताओं पर ध्यान लगा सकता है जबकि निजी कोच व्यक्तिगत अभियान में मदद कर सकता है।
टीटीएफआइ ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा कि उन्होंने टोक्यो में अपने सिंगल्स मैच के दौरान राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप राय की मदद लेने से इन्कार क्यों किया जबकि उनके निजी कोच सन्मय परांजपे को खेलों के आयोजकों द्वारा खेल के दौरान कोर्ट क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। उन्होंने व्यक्तिगत खेलों जैसे बैडमिंटन और टेनिस का भी उदाहरण दिया जिसमें खिलाडि़यों का अपने निजी कोचों को सभी टूर्नामेंट में ले जाना सामान्य बात है। नोटिस के जवाब में मनिका ने राय पर ही सवाल उठा दिए हैं। 26 साल की इस खिलाड़ी ने कहा कि वह सही न्याय की उम्मीद करती हैं। मनिका और जी साथियान ने हाल में हंगरी में डब्ल्यूटीटी कंटेडर में मिक्स्ड डबल्स खिताब जीता। वहां भी मनिका के कोच नहीं गए थे।
राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी ने कहा, 'अगर एक टूर्नामेंट में सिर्फ टीम स्पर्धा हो तो मुख्य कोच ठीक है, लेकिन यह हाकी या फुटबाल नहीं है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ तभी दे सकते हैं, जब हम कड़ी मेहनत करें और अपनी ट्रेनिंग टीमों के साथ अभ्यास में अपना सर्वश्रेष्ठ दें क्योंकि यह व्यक्तिगत खेल है, टीम खेल नहीं। व्यक्तिगत कोच रखना अहंकार की बात नहीं है, बल्कि यह एक खिलाड़ी की जरूरत है। यहां तक की मेरे सीनियर स्वीडन और जर्मनी गए थे और वे अपने व्यक्तिगत कोचों के साथ ही विदेश जाते हैं और भारत में उनके साथ ही ट्रेनिंग करते हैं और ऐसा ही होना चाहिए।'
मनिका ने कहा, 'यहां तक कि हंगरी में श्रीजा अकुला और साथियान के कोच वहां मौजूद थे और यह ट्रेनिंग की तरह ही आधारभूत जरूरत है। टीम स्पर्धा में मुख्य कोच होना ठीक है, लेकिन सिंगल्स के लिए हमें निश्चित रूप से अपने कोच की जरूरत होती है और टीटीएफआइ के लिए इसमें कोई खर्चा नहीं होता।' मनिका ने स्वीकार किया कि उनके कोच को खेल के दौरान प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने से टोक्यो में उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा।