इतिहास रचने से पहले मैरीकॉम पर था इस बात का सबसे ज्यादा दबाव, खुद किया खुलासा
फाइनल मैच के दो दिन पहले मैरीकॉम सो नहीं पाई थीं।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में आयोजित 10वें महिला बॉक्सिंग विश्व चैंपियनशिप में अपने घरेलू दर्शकों के सामने मैरीकॉम ने ऐसा कमाल कर दिया जो आजतक किसी भी महिला बॉक्सर ने नहीं किया था। छह बार विश्व कप में गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास रचा, लेकिन इस बड़े मुकाबले से पहले मैरीकॉम ठीक से सो भी नहीं पाईं थी।
इस जीत के बाद मैरीकॉम ने कहा कि मैं पिछले तीन-चार वर्ष से 51 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा ले रही हूं क्योंकि 48 किलोग्राम भारवर्ग प्रतियोगिता ओलंपिक का हिस्सा नहीं है। 51 से 48 किलोग्राम में वापसी करके गोल्ड मेडल जीतना अपनेआप में बड़ी कामयाबी है। उन्होंने बताया कि फाइनल मैच से पहले मैं सबसे ज्यादा जिस बात से परेशान थी वो था दबाव। पूरे देश को उम्मीद थी कि मैं फाइनल में एक बार फिर से गोल्ड मेडल हासिल करूं और इसका दबाव में साफ तौर पर महसूस कर रही थी। मुझ पर छठा गोल्ड मेडल जीतने का साथ ही भारतीय टीम को लीड करने का भी दबाव था। मेरे भारवर्ग में कोई भी बॉक्सर कमजोर नहीं थी। मैंने अपने हर विरोधी बॉक्सर के खिलाफ बेहरतीन तरीके से फाइट करने की पूरी कोशिश की। मैरीकॉम को इस चैंपियनशिप का बेस्ट बॉक्सर भी चुना गया।
आपको बता दें कि फाइनल मैच में मैरीकॉम ने यूक्रेन की हना ओखोटा को 5-0 से हराया था। मैरीकॉम ने जब विश्व चैंपियनशिप में पहली बार गोल्ड जीता था उस वक्त ओखोटा सिर्फ छह साल की थीं। 22 वर्ष की ओखोटा के खिलाफ लड़ना आसान नहीं था। इस वर्ष की शुरुआत में पोलैंड में हुए एक टूर्नामेंट में ओखोटा को मैरीकॉम के हाथों हार मिली थी और इस बार फाइनल में उन्होंने अनुभवी मैरीकॉम के खिलाफ अपने बेस्ट प्रदर्शन करने की कोशिश की। मैरीकॉम इससे पहले वर्ष 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 में विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकीं थीं।
भारतीय महिला बॉक्सिंग टीम के कोच राफेल बर्गामास्को ने कहा कि फाइनल मैच के पहले दो दिनों तक मैरीकॉम ठीक से सो भी नहीं पाई। उनपर गोल्ड जीतने का काफी ज्यादा दबाव था। इस भारवर्ग में यूक्रेन की बॉक्सर काफी मजबूत विरोधी थी। वो युवा थी और उसके पंच में काफी ज्यादा पावर थी। मैरकॉम ने मैच के दौरान अच्छी मूविंग दिखाई और अपने अनुभव का शानदार नमूना पेश किया।