मुक्केबाज मनीष कौशिक बोले- टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल करने का है टारगेट
भारतीय मुक्केबाज मनीष कौशिक ने कहा है कि अब उनका टारगेट टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल करना है।
नई दिल्ली, अनिल भारद्वाज। हरियाणा के भिवानी जिले के गांव देवसर के मनीष कौशिक ने रूस में खेली गई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, तो उन्हें मालूम नहीं था कि उनके नाम एक रिकॉर्ड जुड़ रहा है। 63 किग्रा वर्ग में तीन पदक यूरोपीय देशों के मुक्केबाज के हिस्से में रहे और चौथा पदक भारत के हिस्से में रहा। 2018 कॉमनवेल्थ खेलों के रजत पदक विजेता मुक्केबाज मनीष कौशिक ने विश्व चैंपियनशिप को लेकर दैनिक जागरण के संवाददाता से खास बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..
-क्यूबा के मुक्केबाज के साथ सेमीफाइनल मुकाबले में बड़ी हार हुई। आप मुकाबले में कही नहीं ठहरे। ऐसा क्यों हुआ?
-कॉमनवेल्थ में मैंने 60 किग्रा वर्ग में खेलते हुए रजत पदक जीता था और विश्व चैंपियनशिप में 63 किग्रा वर्ग में खेला। क्यूबा के मुक्केबाज 64 किग्रा वर्ग में रियो ओलंपिक के पदक विजेता और 2017 विश्व चैंपियनशिप के चैंपियन हैं। मैं मानता हूं कि ओलंपिक पदक विजेता के साथ मुकाबले में कमजोर रहा लेकिन आने वाले मुकाबलों में उन्हें कड़ा मुकाबला मिलेगा। इसके लिए मेरा अभी से कड़ा प्रशिक्षण शुरू होगा। क्यूबा के मुक्केबाज से हुए मुकाबले में बहुत कुछ सीखने को मिला है।
-आपने खेलने का वजन बदला है और अब टोक्यो ओलंपिक को लेकर क्वालीफाइंग मुकाबले शुरू होंगे। कितना विश्वास है कि टिकट हासिल कर लेंगे?
-विश्व चैंपियनशिप में 63 किग्रा वर्ग के चार पदकों में एक ही पदक एशिया में आया है। तीन पदक यूरोप के मुक्केबाज ले गए। जो पदक एशिया में आया है, वह भारत को मिला है। क्वालीफाइंग राउंड में एशिया के मुक्केबाज आएंगे और मेरा उनके साथ शानदार मुकाबला होगा। मेरा लक्ष्य टिकट हासिल करना है।
-कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीतने के बाद एशियन खेलों के ट्रायल में हार गए थे या चयन प्रक्रिया सही नहीं थी?
-एशियन गेम्स के ट्रायल में मैं हार गया था। उसके बाद मैंने आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में कड़ी मेहनत की और विश्व चैंपियनशिप में वापसी की। देखिए, अब भारत में हर वजन में एक दूसरे मुक्केबाज को टक्कर देने वालों की लंबी लाइन है। आपको हर रोज एक नया मुक्केबाज मिलेगा। यह अच्छा है क्योंकि एक मुक्केबाज को विश्व स्तर पर मुकाबले की तैयारी करने के लिए अपने ही देश में एक से एक बड़ा मुकाबला मिल रहा है।
-क्या अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए बेहतर सुविधा मिल रही है?
-कुछ वर्ष पहले के संबंध में कुछ नहीं कह सकता लेकिन अब प्रशिक्षण सुविधा से लेकर खाने की डाइट और रहने तक की सुविधा बेहतर मिल रही है। विश्व स्तर की सुविधा भारत में मिल रही है।