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ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में भारत को मुश्किल ड्रॉ, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से साइना का सामना

पीवी सिंधू और साइना नेहवाल समेत भारतीय बैडमिंटन खिलाडि़यों को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में मुश्किल ड्रॉ मिला है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 08:31 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 08:31 PM (IST)
ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में भारत को मुश्किल ड्रॉ, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से साइना का सामना
ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में भारत को मुश्किल ड्रॉ, स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से साइना का सामना

बर्मिघम, प्रेट्र। दिग्गज शटलर पीवी सिंधू और साइना नेहवाल समेत भारतीय बैडमिंटन खिलाडि़यों को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में मुश्किल ड्रॉ मिला है जहां पिछले 18 वर्षो से भारत कोई खिताब नहीं जीत पाया है।

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पिछले साल इस टूर्नामेंट में ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता सिंधू सेमीफाइनल तक पहुंचीं थी। वह महिला सिंगल्स में दक्षिण कोरिया की सुंग जि ह्यून से अपना पहला मैच खेलेंगी जबकि इंडोनेशिया मास्टर्स की चैंपियन साइना का सामना स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से होगा। साइना और सिंधू सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप से खेलकर सीधे बर्मिघम पहुंचेंगी। छह मार्च से ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप शुरू हो रही है।

सिंधू को पिछले साल हांगकांग ओपन में ह्यून ने हराया था जिसे हराने पर क्वार्टर फाइनल में भारतीय शटलर का सामना तीसरी वरीय चेन युफेइ से हो सकता है। दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी साइना 2015 में ऑल इंग्लैंड के फाइनल में पहुंचीं थी। इस साल वह मलेशिया मास्टर्स के सेमीफाइनल में पहुंचीं और इंडोनेशिया में खिताब जीता जिनका सामना क्वार्टर फाइनल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीनी ताइपे की ताइ झू यिंग से हो सकता है जिसके खिलाफ वह पिछले 11 मैच हार चुकी हैं। तीन बार की विश्व चैंपियन कैरोलिना मारिन घुटने की चोट की वजह से इस चैंपियनशिप में नहीं खेल रही हैं। पुरुष सिंगल्स किदांबी श्रीकांत का सामना पहले दौर में फ्रांस के ब्राइस लीवरदेज से होगा। विश्व टूर फाइनल्स के सेमीफाइनल में पहुंचे समीर वर्मा का सामना पहले दौर में दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से होगा। वहीं बी साई प्रणीत और एचएस प्रणय एक दूसरे से खेलेंगे।

भारत ने आखिरी बार 2001 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीती थी जब मौजूदा राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने खिताब अपने नाम किया था। पहली बार इसका खिताब प्रकाश पादुकोण ने 1980 में जीता था।


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