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सरकार करेगी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के बॉयकॉट पर फैसला

कॉमनवेल्थ गेम्स में 1966 में जगह बनाने के बाद निशानेबाजी 1970 में एडिनबरा में हुए खेलों को छोड़कर प्रत्येक कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा रहा है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 08:20 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 08:20 PM (IST)
सरकार करेगी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के बॉयकॉट पर फैसला
सरकार करेगी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के बॉयकॉट पर फैसला

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। 2022 में बर्मिघम में होने वाले कॉमनवेल्थ से निशानेबाजी को बाहर किए जाने के बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) उन खेलों का बहिष्कार करना चाहता है लेकिन खेल मंत्री ने आइओए के प्रतिनिधियों को कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) के अध्यक्ष से मिलने की सलाह दी है। दैनिक जागरण ने जब उनसे पूछा कि आइओए लगातार इन खेलों के बहिष्कार की धमकी दे रहा है, इसको लेकर खेल मंत्रालय की राय क्या है? रिजिजू ने कहा कि अभी हमने उन्हें सीजीएफ के मुखिया से बात करके अपील करने को कहा है। समय आने पर इस पर फैसला लिया जाएगा। इस पर आखिरी फैसला सरकार ही करेगी।

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जब उनसे पूछा गया कि क्या बॉयकॉट करना ही सही रास्ता है तो उन्होंने कहा कि देखिये खेल सभी के लिए है। जितने भी खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स के पदक के लिए लड़ते हैं, उन सभी के लिए यह खेल महत्वपूर्ण है। कॉमनवेल्थ आयोजन समिति ने यह फैसला किया है कि बर्मिघम में निशानेबाजी नहीं होनी चाहिए। आइओए और भारतीय निशानेबाजी संघ के प्रतिनिधि मेरे पास आए थे। उन्होंने भविष्य की संभावनाओं पर मुझसे बात की और मुझसे पूछा कि क्या इसमें क्या करना चाहिए। मैंने उनसे कहा कि कहा कि बॉयकॉट करना है या नहीं करना है, इसका फैसला अभी लेने का समय नही है। यह एक बड़ा फैसला है। किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल को बॉयकॉट करना बहुत बड़ा फैसला होता है। हम जोश में कोई फैसला नहीं कर सकते लेकिन यह बात सही है कि कॉमनवेल्थ गेम्स समिति को भी समझना होगा कि भारत इन खेलों का सबसे बड़ा देश है और कोई भी बड़ा फैसला लेते समय भारत के पक्ष को सुनना चाहिए। आइओए से कॉमनवेल्थ आयोजन समिति को पूछना चाहिए या सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने निशानेबाजी को बाहर रखने के फैसले को लेकर आइओए से कोई वार्तालाप नहीं किया है। मैंने आइओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को कहा कि आप सरकार के पास आ गए हैं, हम विचार करेंगे लेकिन हम कुछ फैसला करें, उससे पहले आप कॉमनवेल्थ गेम्स समिति के सामने भारत का पक्ष रखें कि हमें यह फैसला मंजूर नहीं है। इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए।

जब उनसे कहा कि इस फैसले पर वोटिंग भी हो चुकी है और उन्होंने फैसला ले लिया है कि निशानेबाजी वापस नहीं आएगी? ऐसे में उनसे बात करने से क्या फायदा? रिजिजू ने कहा कि आइओए ने मुझे बताया कि फैसला हो चुका है लेकिन हमें अपील तो करना ही पड़ेगी। इसमें दो बातें हैं, एक है राष्ट्रीय रुचि। निशानेबाजी से हमको सबसे ज्यादा पदक मिलते हैं। वह खेल ही नहीं होगा तो हमें क्या फैसला लेना चाहिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जो फैसला लिया जाए उससे बाकी खेलों और भारत की उम्मीदों को नुकसान नहीं हो। हम सही समय पर संतुलित फैसला लेंगे।

कॉमनवेल्थ गेम्स में 1966 में जगह बनाने के बाद निशानेबाजी 1970 में एडिनबरा में हुए खेलों को छोड़कर प्रत्येक कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा रहा है। सीजीएफ ने जून में अपनी कार्यकारी बोर्ड की बैठक में निशानेबाजी को बाहर कर तीन नए खेलों को शामिल करने की सिफारिश की। यह फैसला भारत के लिए झटका था क्योंकि पिछले साल के गोल्ड कोस्ट खेलों में देश के निशानेबाजों ने सात स्वर्ण सहित 16 पदक हासिल किये थे। जिससे भारत कुल 66 पदकों के साथ तालिका में तीसरे स्थान पर रहा था।

पेरिस और लॉस एंजिल्स ओलंपिक पर नजर

खेल मंत्री से जब अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ 10 महीने बचे हैं और ऐसे में हमें मौजूदा प्रतिभा के साथ जाना होगा। 10 महीने में हम नई प्रतिभा को तैयार नहीं कर सकते। हम पिछले ओलिंपिक से बेहतर नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी दीर्घकालिक तैयारी 2024 में पेरिस और 2028 में लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए है।

बड़े खेलों की मेजबानी पर उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ नहीं हैं। किसी भी देश के लिए ओलंपिक और एशियन गेम्स की की मेजबानी करना गर्व का विषय है। हमारा सपना ओलंपिक की मेजबानी करना है। भारत पाकिस्तान के द्विपक्षीय खेल मुकाबलों के बारे में पूछे जाने पर रिजिजू ने कहा कि सरकार की मंजूरी के बिना दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज नहीं होगी लेकिन जब बात अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिताओं की आती है तो उसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।'


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