द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए पहलवान राष्ट्रीय कोच की जगह दे रहे रिश्तेदारों के नाम
द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए कुश्ती में कुल छह दावेदार हैं जिसमें सुजीत मान, वीरेंद्र, मंदीप, सत्यवान, रणवीर सिंह कुंडु और 95 वर्षीय खलीफा जसराम शामिल हैं
नई दिल्ली, योगेश शर्मा। भारतीय पहलवान वर्ष में आठ से 10 महीने तक राष्ट्रीय कैंप में राष्ट्रीय कोच के साथ पसीना बहाते हैं लेकिन जैसे ही द्रोणाचार्य पुरस्कार देने का समय आता तो वही पहलवान अपने रिश्तेदारों व व्यक्तिगत कोचों का नाम भेज देते हैं।
द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए कुश्ती में कुल छह दावेदार हैं जिसमें सुजीत मान, वीरेंद्र, मंदीप, सत्यवान, रणवीर सिंह कुंडु और 95 वर्षीय खलीफा जसराम शामिल हैं। हमेशा की तरह अपने कोच को लेकर विवादों में रही ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने इस बार ससुर सत्यवान के नाम का शपथ पत्र दे दिया, जबकि जसराम भी पुरस्कार की दौड़ में शामिल हो गए। हालांकि, जकार्ता एशियन गेम्स में भारतीय कुश्ती टीम के साथ कोच रहे सुजीत मान की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है और वह इन सभी विवादों से बचे हुए हैं।
नियम के अनुसार, पहलवान अगर कैंप में कोच के साथ 240 दिनों तक रहते हैं तो वह उस कोच के नाम का शपथ पत्र दे सकता है। लेकिन, अगर वह कैंप में नहीं रहता और व्यक्तिगत कोच से प्रशिक्षण लेता है तब वह अपने व्यक्तिगत कोच के नाम का शपथ पत्र दे सकता है। लेकिन, शिविर ही एक साल में आठ से 10 महीने तक चलता हैं। लड़कियों का शिविर लखनऊ में, जबकि लड़कों का शिविर सोनीपत में लगता है।
कुश्ती से जुड़े एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि सुजीत का नाम पुरस्कार के लिए आगे हो सकता है क्योंकि उसका रिकॉर्ड प्रदर्शन के हिसाब से अच्छा रहा है। वह एशियन गेम्स में कोच थे और उसमें बजरंग का स्वर्ण आया था। वह रेलवे में कोच हैं। वह 2011 में सीनियर टीम के साथ कोच के रूप में जुड़े और तब से अब तक सीनियर कोच के रूप में चले आ रहे हैं। वह 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष टीम के साथ कोच थे जिसमें दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील ने स्वर्ण जीता था। भारतीय कुश्ती संघ ने पुरस्कार के लिए सुजीत का नाम सबसे ऊपर रखा है।
सूत्र ने अन्य दावेदारों के बार में तथ्यों के साथ बताया कि सत्यवान एनआइएस योग्यता प्राप्त कुश्ती प्रशिक्षक नहीं है और सत्यवान ने कभी भी राष्ट्रीय कुश्ती प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण नहीं दिया। साक्षी ने पिछले साल प्रशिक्षक के लिए शपथ पत्र में मंदीप का नाम दिया था। इस बार उन्होंने शपथ पत्र सत्यवान के नाम का दिया है। सत्यवान साक्षी के ससुर हैं, जबकि उनके पति का नाम सत्यव्रत कादियान है। पिछली बार की द्रोणाचार्य पुरस्कार समिति ने साक्षी के शपथ पत्र को इसलिए निरस्त कर दिया था क्योंकि साक्षी का नगद पुरस्कार हरियाणा सरकार ने रोक दिया था। उनके चार प्रशिक्षकों (ईश्वर, दहिया, राजवीर सिंह, कुलदीप मलिक, मंदीप सिंह) ने नगद पुरस्कारों के लिए दावा किया था।
सत्यवान ने ललिता सहरावत को प्रशिक्षण देने की बात कही है, लेकिन उन्होंने उसे कभी भी प्रशिक्षण नहीं दिया। ललिता सहरावत साक्षी की दोस्त हैं इसलिए ललिता ने सत्यवान का शपथ पत्र दिया है। मंदीप भी कभी भी राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों प्रशिक्षक नहीं रहे हैं। साक्षी ने शपथ पत्र पिछले साल मंदीप को दिया था। मंदीप का दावा पिछले साल समिति ने इसलिए निरस्त कर दिया था कि साक्षी के कई दावेदार प्रशिक्षक हो गए थे।