टोक्यो ओलंपिक से पहले दीपिका कुमारी ने हासिल की नंबर एक रैंकिंग, गोल्ड की उम्मीद
पेरिस में विश्व कप तीसरे चरण में तीन स्वर्ण जीतने वाली दीपिका की मां गीता देवी मानती है कि टोक्यो ओलंपिक में वह इस बार पदक जीतेगी। दीपिका अभी लय में हैं और टोक्यो में वह पदक जीते यह हम सबका सपना है।
संजीव रंजन, रांची। हाल ही में पेरिस में हुए तीरंदाजी विश्व कप के एक ही दिन में स्वर्ण पदक की हैट्रिक मारकर दीपिका कुमारी ने टोक्यो ओलंपिक में पदक के लिए मजबूत दावा पेश किया है। इस तरह किसी विश्व कप में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली ना सिर्फ वह एकलौती भारतीय खिलाड़ी बनीं बल्कि नंबर वन रैंकिंग भी पक्की कर ली।
दीपिका आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे उनके माता-पिता का त्याग व उसका परिश्रम है। रांची से लगभग 12 किलोमीटर दूर रातू की रहने वाली दीपिका का बचपन गलियों में सहेलियों के साथ बीता। बचपन से ही वह जिद्दी स्वभाव की थीं। यानि वह जो ठान लेतीं वह करती थीं। रातू की गलियों में वह पत्थर से निशाना लगाकर आम तोड़ा करती थी। पिता शिवनारायण आटो चालक व माता गीता देवी नर्स थीं। उनके पास इतना पैसा नहीं था कि बेटी को तीर धनुष दिलाकर अभ्यास कराते।
हालांकि दोनों अपनी बेटी की प्रतिभा को पहचानते थे इसलिए 2005 में अर्जुन मुंडा की तीरंदाजी अकादमी में बेटी को लेकर पहुंचे। यहां से दीपिका की प्रतिभा में निखार आने लगा। अर्जुन मुंडा व उनकी पत्नी मीरा मुंडा ने उनकी प्रतिभा को निखारने को काम शुरू किया। 2006 में उनका चयन टाटा तीरंदाजी अकादमी में हुआ और फिर उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दीपिका ने 2006 में ही मेक्सिको में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कंपाउड सिंगल स्पर्धा में अपने करियर का पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। जिसके बाद शुरू हुए सफर ने उन्हें विश्व की नंबर वन तीरंदाज का तमगा हासिल कराया।
सबसे पहले वर्ष 2009 में महज 15 वर्ष की दीपिका न अमेरिका में हुई 11वीं यूथ तीरंदाजी चैंपियनशिप जीत कर अपनी उपस्थिति जाहिर की थी। फिर 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य हासिल किया। इसके बाद राष्ट्रमंडल खेल 2010 में उन्होने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के स्वर्ण जीते बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया। जो क्रम अभी भी जारी है।
मां को विश्वास ओलंपिक में पदक जीतेगी बेटी
पेरिस में विश्व कप तीसरे चरण में तीन स्वर्ण जीतने वाली दीपिका की मां गीता देवी मानती है कि टोक्यो ओलंपिक में वह इस बार पदक जीतेगी। दीपिका अभी लय में हैं और टोक्यो में वह पदक जीते यह हम सबका सपना है। 30 जून को दीपिका की शादी की पहली वर्षगांठ है उससे पहले इन दोनों (दीपिका और पति अतानु दास) ने पेरिस की मिक्सड डबल्स स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर सबको बेहतरीन तोहफा दिया है।
ओलंपिक पदक जीत रचना चाहती हैं इतिहास
पेरिस में शानदार प्रदर्शन करने के बाद दीपिका कुमारी मानती हैं कि असली परीक्षा अभी बाकी है। उनका कहना है कि टोक्यो ओलंपिक में मैं एकमात्र भारतीय महिला तीरंदाज हूं और इस स्पर्धा में किसी भारतीय ने पदक नहीं जीता है, जिससे मेरा प्रयास इस मिथक को तोड़ने का होगा। पेरिस के प्रदर्शन से मैं खुश हूं लेकिन असली खुशी ओलंपिक में पदक जीतने के बाद होगी। मालूम हो कि दीपिका का यह तीसरा ओलंपिक होगा।