लक्ष्य साधने में माहिर दीपिका कुमारी हैं भारत की शान, इंटरनेशनल स्तर पर हासिल की हैं कई सफलताएं
साल 2009 में सिर्फ 15 साल की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जीत कर अपनी उपस्थिति जाहिर की थी। फिर 2010 में एशियन गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। इसके बाद इसी वर्ष कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला एकल और टीम के साथ दो गोल्ड जीते।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी का जन्म रांची में 13 जून 1994 को हुआ था। घर में तीरंदाजी का कोई माहौल नहीं था क्योंकि पिता ऑटो चालक थे तो वहीं उनकी माता रांची मेडिकल कॉलेज में नर्स थीं। दीपिका की मां के मुताबिक वो कोई लक्ष्य बना लेती हैं तो फिर उसे पूरा करके ही छोड़ती हैं और यही बात उनकी तीरंदाजी में भी झलकती है। दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला जब उन्होने पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी ज्वाइन किया था और फिर साल 2006 में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत हुई जब उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन किया था। दीपिका ने इसी साल मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंट एकल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया था और ऐसा करने वाली वो दूसरी भारतीय थीं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
साल 2009 में सिर्फ 15 साल की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जीत कर अपनी उपस्थिति जाहिर की थी। फिर 2010 में एशियन गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। इसके बाद इसी वर्ष कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला एकल और टीम के साथ दो गोल्ड मेडल जीतकर सनसनी फैला दी। राष्ट्रमंडल खेल 2010 में उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के गोल्ड मेडल जीते बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया। भारतीय तीरंदाजी के इतिहास में वर्ष 2010 की जब-जब चर्चा होगी, इसे देश की रिकर्व तीरंदाज दीपिका के प्रदर्शनों के लिए जरूर याद किया जाएगा। उन्होंने साल 2011 और 2015 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किए।
दीपिका की इन तमाल सफलताओं को देखते हुए उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार तो भी वहीं 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीपिका को पद्म श्री से सम्मानित किया। 2014 में वो एफआइसीसीआइ स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर से सम्मानित की गई थीं। दीपिका ने 30 जून 2020 को पुरुष आर्चर अतानु दास से शादी की थी।