बर्मिंघम में गोल्ड जीतने वाले पहलवान दीपक पूनिया बोले, 2026 कामनवेल्थ गेम्स में शामिल हो कुश्ती
बर्मिघम में कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण जीतने वाले दीपक पूनिया ने कहा कि विक्टोरिया गेम्स में कुश्ती को शामिल किया जाए नहीं तो इससे पहलवानों का नुकसान होगा। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक पूनिया से योगेश शर्मा ने खास बातचीत की।
योगेश शर्मा ने खास बातचीत। बर्मिघम कामनवेल्थ गेम्स में 12 पहलवान खेलने गए थे और सभी ने पदक जीते थे। लेकिन अब 2026 में आस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में होने वाले इन गेम्स से निशानेबाजी के साथ कुश्ती को भी हटा दिया गया है। बर्मिघम में कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण जीतने वाले दीपक पूनिया ने कहा कि विक्टोरिया गेम्स में कुश्ती को शामिल किया जाए, नहीं तो इससे पहलवानों का नुकसान होगा। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक पूनिया से योगेश शर्मा ने खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश : -
टोक्यो ओलिंपिक में आप 16 सेकेंड में पदक जीतने से चूक गए थे। वहां से लेकर कामनवेल्थ गेम्स तक का आपका सफर कैसा रहा?
पांच अगस्त 2021 को मैं ओलिंपिक में कांस्य पदक की कुश्ती हारा था और पांच अगस्त 2022 को ही मैंने कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। ओलिंपिक के आने के बाद से मैं थोड़ा निराश था, लेकिन लोगों ने जो प्यार दिया और कहा कि आगे बहुत टूर्नामेंट हैं और तू आगे जीतेगा। इसके बाद मैंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।-
बर्मिघम में 12 पहलवान खेलने गए थे और सभी पदक लेकर आएं। लेकिन अब 2026 में विक्टोरिया कामनवेल्थ गेम्स से कुश्ती को हटा दिया गया है, इसे आप कैसे देखते हैं?
हमें इस बात का बहुत दुख है कि कुश्ती को 2026 में हटाया हुआ है। आप सभी ने देखा कि बर्मिघम में कैसे पहलवानों ने पदक जीते। अगर कुश्ती शामिल नहीं होगी तो इसका नुकसान हर पहलवान को होगा। क्योंकि कई पहलवान उस टूर्नामेंट के लिए तैयारी कर रहे होते हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ और खेल मंत्रालय कुश्ती को शामिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मैं एक पहलवान होने के नाते कहना चाहूंगा कि कुश्ती को जरूर शामिल किया जाए।
आप बजरंग बली के भक्त हैं और जब भी टूर्नामेंट में से खेलकर आते हैं या जाते हैं तो उनकी शरण में जरूर जाते हैं तो इस पर क्या कहेंगे?
देखिये, मैं जो कुछ हूं बजरंग बली के आशीर्वाद से हूं। मैं अभी बर्मिघम से लौटकर आया तो अखाड़े में उनके दर्शन किए, बस यही कहना चाहूंगा कि ऐसा करके मुझे अच्छा लगता है।
जब आप, रवि दहिया और बजरंग साथ में होते हैं तो किस तरह की बातचीत होती हैं और क्या बजरंग आपकी मदद करते हैं?
हम एक साथ खाना खाते हैं। हम तीनों दोस्त और भाई की तरह हैं। पाकिस्तान के विरुद्ध जब मेरा फाइनल मैच था तो तब बजरंग ने भी मुझे बताया था कि खुलकर खेलना है और कोई अतिरिक्त दबाव नहीं लेना है।