एशियन गेम्स के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप, प्रदर्शन नहीं इस बात से चिंतित है भारतीय निशानेबाज
एक शूटर को 5 किलोग्राम बारूद ले जाने की इजाजत है
नई दिल्ली, जेएनएन। एशियन गेम्स 2018 में शानदार प्रदर्शन कर रहे भारतीय शूटर के सामने एक बड़ी समस्या आ गई है। दरअसल भारतीय शूटर्स को एशियन गेम्स खत्म होने के ठीक बाद 31 अगस्त से कोरिया में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप लेना है लेकिन उस टूर्नामेंट के लिए वह गोला बारूद कैसे लेकर जाए, ये एक बड़ी दिक्कत है क्योंकि शूटर्स सफर के दौरान 5 किलो से ज्यादा गोला बारूद अपने साख नहीं रख सकते हैं। शूटर्स को शेड्यूल के बारे में पहले ही जानकारी थी लेकिन इस नियम के चलते उन्हें और सावधानी बरतनी होगी।
एक शूटर को 5 किलोग्राम बारूद ले जाने की इजाजत है और उसमे पैकिंग के दौरान आधा किलोग्राम लग जाता है, इसका मलतब है कि शूटर अपने साथ 4.50 किलोग्राम बारुद ले जा सकते हैं। इतनी मात्रा में वह 1200 निशाने लगा सकते हैं। इस गोला बारूद में निशानेबाज केवल 4 दिन ही अभ्यास कर सकते हैं। पिस्टल कोच रौनक पंडित ने बताया कि साराधरण से अभ्यास में भी शूटर्स को 700 शॉट लगाने पड़ते हैं। इसके बाद प्री इवेंट ट्रेनिंग, एलिमेशन, क्वालिफिकेशन और उसके बाद फाइनल मुकाबला। हमारे पास गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।
मौजूदा स्थिति इन शूटर्स के लिए ज्यादा खराब है जिनका असला बड़ा होता है। असला भारी और बड़ा होने के कारण वह केवल 200 बुलेट ही ले जा सकते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें और होशियार रहने की जरुरत है। हालांकि 10 मीटर शूटर्स अपने नाम पर थोड़ा असला ले जाते हैं और थोड़ा सपोर्ट स्टाफ के नाम से चला जाता है। रवि कुमार, अपूर्वी चंदेला और दीपक कुमार जैसे निशानेबाज तो कोरिया पहुंच भी चुके हैं।
भारतीय निशानेबाज मौजूदा एशियन गेम्स से सीधा कोरिया पहुंचेंगे जबकि चीन के खिलाड़ी पहले अपने घर जाएंगे, इसी वजह से उनके पास असले की कोई कमी नहीं होगी। भारतीय टीम की सबसे अच्छी बात ये है कि सभी खिलाड़ी एक दूसरे की जरुरत समझते हुए आपस में मदद करते हैं।