एशियन गेम्स 2018: अपरिंदर ने बताया सफलता का राज, कठिन परिस्थिति में भी हार नहीं मानी
हम दो भाई हैं और पिता ने कहा था कि एक को खेलों में जाना है तो मेरे बड़े भाई शमशेर ने मुझे खेलों में उतारने का फैसला किया था
नई दिल्ली, अनिल भारद्वाज। फौजी पिता जगबीर सिंह के कहने पर खेलना शुरू करने वाले अरपिंदर सिंह जब 2005 में पहली बार घर से मैदान के लिए निकले थे तो 100 मीटर दौड़ में सबसे तेज दौड़ने वाला धावक बनने की चाह लेकर गए थे, लेकिन किस्मत में ट्रिपल जंप का चैंपियन बनना लिखा था। 18वें एशियन गेम्स की ट्रिपल जंप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर 48 साल का सूखा खत्म करने वाले अरपिदर सिंह से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश
आपने 100 मीटर दौड़ में खेलना शुरू किया था। अब आप ट्रिपल जंप में चैंपियन बने। खेल बदलने का क्या कारण था?
मैंने 100 मीटर में दौड़ना शुरू किया था और फिर लंबी कूद में खेलना शुरू किया, जिसमें अच्छा नहीं कर पाया, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। उस समय साई के प्रशिक्षक डीएस बाल ने मुझे ट्रिपल जंप में खेलने को कहा। जब मैं ट्रिपल जंप का अभ्यास करता था तो प्रशिक्षक कहते थे कि अब खेल बदलने की जरूरत नहीं होगी। उसके बाद मेरे प्रशिक्षक सरदार सुखदेव सिंह पन्नू ने मुझे यहां तक पहुंचने के लायक बनाया।
जकार्ता से पहले आपके पास कोई बड़ी कामयाबी नहीं थी, कितना विश्वास था कि जकार्ता में चैंपियन बन जाएंगे?
2014 कॉमनवेल्थ खेलों के कांस्य पदक के बाद कोई बड़ा पदक मेरे पास नहीं था तो मैं सुर्खियों से भी दूर था, लेकिन मैंने दो वर्ष कड़ी मेहनत की है। जब कैंप में मेरे अभ्यास को देखकर प्रशिक्षक खुश दिखते थे तो मैं समझ जाता था कि मैं बेहतर कर पा रहा हूं।
जकार्ता जाने से पहले क्या आपको पता था कि 48 वर्ष से इस स्पर्धा में पदक नहीं आया?
पिता ने जकार्ता में जाने से पहले बताया कि ट्रिपल जंप में भारत को 1970 एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक मिला था और अब यह सूखा खत्म करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। मैंने चीन व कोरिया के मजबूत प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर पदक हासिल किया।
आपने पिता के कहने पर खेलना शुरू किया। क्या आप खेलना नहीं चाहते थे?
(हंसते हुए) ऐसा नहीं है। मैं उस समय बच्चा था और बच्चा खेलना चाहता है। मेरे पिता आर्मी की कबड्डी टीम के खिलाड़ी रहे हैं। हम दो भाई हैं और पिता ने कहा था कि एक को खेलों में जाना है तो मेरे बड़े भाई शमशेर ने मुझे खेलों में उतारने का फैसला किया था।
2019 में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप व 2020 टोक्यो ओलंपिक हैं और भारत में बेहतर तैयारी को लेकर मुद्दा बना रहता है?
जकार्ता की तैयारी के लिए एएफआइ ने हर खिलाड़ी की तैयारी पर ध्यान दिया हुआ था। विदेशी प्रशिक्षक के अलावा खान-पान के बेहतर इंतजाम थे। जिस तरह से एएफआइ व केंद्र सरकार खिलाडि़यों की तैयारी पर ध्यान दे रही है, मेरा मानना है कि विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक में कई पदक आएंगे।