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एशियन गेम्स: साल 1986 में छाया पीटी उषा का जादू लेकिन 1990 में केवल कबड्डी ने बचाई लाज

साल 1982 में भारत ने कुल 37 पदक जीते, जिनमे सिर्फ 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 23 कांस्य पदक शामिल थे

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 01:44 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 11:01 AM (IST)
एशियन गेम्स: साल 1986 में छाया पीटी उषा का जादू लेकिन 1990 में केवल कबड्डी ने बचाई लाज
एशियन गेम्स: साल 1986 में छाया पीटी उषा का जादू लेकिन 1990 में केवल कबड्डी ने बचाई लाज

 नई दिल्ली, जेएनएन। जर्काता में होने वाले 18वें एशियन गेम्स के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। टूर्नामेंट शुरू होने में अब 19 से भी कम दिन का समय बचा है। पिछली पिछली बार हमने साल 1982 में भारत के प्रदर्शन पर चर्चा की थी और अब बारी है साल 1986 के गेम्स की।

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इस बार दक्षिण कोरिया ने इन खेलों की मेजबानी की और सियोल में इसका आयोजन किया गया। इन गेम्स में पहली बार भारत की उड़न परी पीटी उषा की काबिलियत को लोगों मे जाना हालांकि भारत के लिए ये साल इतना अच्छा नहीं रहा। 

भारत ने कुल 37 पदक जीते, जिनमे सिर्फ 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 23 कांस्य पदक शामिल थे। मेडल जीतने वाले देशों की सूची में वह 5वें स्थान पर रहा। उस साल पीटी उषा ने 200 मीटर, 400 मीटर और 400 मीटर की बाधा रेस में गोल्ड पदक जीता हालांकि 100 मीटर रेस में वह फिलिपींस की लीडिया से हार गई।

इस प्रदर्शन के बारे में जब पीटी उषा से पूछा जाता तो वह कहती कि उस वक्त मैं एशिया की बेस्ट एथलीट थी। एशियन गेम्स से पहले मैंने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100, 200, 400 मीटर और 400 मीटर की बाधा रेस में गोल्ड जीते थे। उन एशियन गेम्स में भी मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं 5 गोल्ड जीतूंगी लेकिन 100 मीटर की रेस में मुझे हार का सामना करना पड़ा।

पीटी उषा के अलावा तैराक खजान सिंह ने भी साल 1986 में अपनी क्षमता से दुनिया को वाकिफ कराया, उन्होंने 200 मीटर की रेस में सिल्वर जीता। खजान सिंह भारत के पहले तैराक थे जिन्होंने एशियाइ स्तर पर कोई मेडल जीता हो। वहीं पहलवान करतार सिंह ने 1978 के बाद एक बार फिर इस साल गोल्ड मेडल जीता हालांकि 1982 में उन्हें फाइनल में हारकर सिल्वर से ही काम चलाना पड़ा। 

हॉकी में भारत के लिए ये साल भी ज्यादा अच्छा नहीं रहा। इस बार भारत ने कांस्य पदक जीता, वहीं दक्षिण कोरिया ने पाकिस्तान को 2-1 सा हराकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। इस तरह हॉकी में पाकिस्तान और भारत का दबदबा कम हो गया।

चीन अब तक खेल की दुनिया की महाशक्ति बन चुका था हालांकि इस बार मेजबान कोरिया ने उन्हें कड़ी टक्कर दी लेकिन केवल 1 गोल्ड ज्यादा जीतने की वजह से वह पहले स्थान पर रहा। चीन ने इस बार 94 गोल्ड सहित 222 पदक जीते, वहीं दक्षिण कोरिया ने 93 गोल्ड सहित 224 पदक पर कब्जा किया। वहीं जापान इस बार तीसरे स्थान पर खिसक गया।

1990 भारत के लिए एशियन गेम्स के इतिहास का सबसे बुरा साल

इस बार इस टूर्नामेंट की मेजबानी की पेइचिंग( बीजिंग) ने की। भारत के लिए ये गेम्स ज्यादा अच्छे नहीं रहे। 11वें संस्करण में भारत ने 1 गोल्ड, 8 सिल्वर और 13 कांस्य जीते। इस बार वह टॉप 10 में भी जगह नहीं बना पाया और 12वें स्थान पर खिसक गया। इस साल पीटी उषा भी केवल 400 मीटर की रेस में सिर्फ सिल्वर पदक ही जीत पाई। भारत इस बार एक गोल्ड के लिए तरफ गया था लेकिन पुरुष कबड्डी टीम ने पहला और आखिरी गोल्ड जीतकर भारत की लाज बचाई। 

इस बार भी चीन ने 83 स्वर्ण सहित कुल 341 पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया। एशियन गेम्स के इतिहास में ये पहला मौका था, जब किसी देश ने 300 से ज्यादा मेडल जीते हों। कोरिया इस बार चीन से काफी पिछड़ गया और 54 गोल्ड के साथ 181 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर रहा।

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