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गोल्ड से चूकने के बाद बोले कबड्डी टीम को कोच, कोरिया से मिली हार के बाद हम संभल नहीं पाए

हमारे खिलाडि़यों ने बेहतर प्रयास किया पर कोरिया की टीम को बहुत हल्के में ले लिया।

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 07:04 PM (IST)
गोल्ड से चूकने के बाद बोले कबड्डी टीम को कोच, कोरिया से मिली हार के बाद हम संभल नहीं पाए
गोल्ड से चूकने के बाद बोले कबड्डी टीम को कोच, कोरिया से मिली हार के बाद हम संभल नहीं पाए

 नई दिल्ली, सुरेश मेहरा।  सितारों से सजी भारतीय कबड्डी टीम देश को सोना नहीं दिला सकी। 28 साल में ऐसा पहली बार हुआ। टीम के प्रमुख कोच रामेहर सिंह इस हार के लिए कोई बहाना नहीं बताते पर सीधे स्वीकार करते हैं कि अति आत्मविश्वास टीम के लिए घातक साबित हुआ। टीम की हार की नैतिक जिम्मेदारी वह खुद लेते हैं। रामेहर सिंह से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश

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दुनिया के शीर्ष स्टार खिलाड़ी आपके पास थे पर क्या किस्मत ने साथ नहीं दिया या चयन में चूक हुई?

भारतीय कबड्डी टीम में दुनिया के शीर्ष-10 रैंकिंग के छह रेडर थे। इसके अलावा कैचर और ऑलराउंडर भी हमारे सबसे बेहतरीन हैं। टॉप रेडर में कप्तान अजय कुमार, प्रदीप नरवाल, मोनू गोयत, राहुल चौधरी, रिशांक देवडिगा, रोहित कुमार के अलावा कैचर में मोहित कुमार, प्रदीप और आल राउंडर में संदीप नरवाल, दीपक हुड्डा रहे। फिर भी हम सोने से चूक गए। हमारे खिलाड़ी आज भी बेहतरीन हैं, बस यह समझिए कि भाग्य ने साथ नहीं दिया।

तो क्या रणनीति में कोई कमी रह गई?

हमारे खिलाडि़यों ने बेहतर प्रयास किया पर कोरिया की टीम को बहुत हल्के में ले लिया। कोरिया से मिली हार के बाद हमारी टीम मानसिक दबाव में आ गई और उससे कभी निकल ही नहीं पाई। इसका दुष्प्रभाव सेमीफाइनल में इरान के साथ भी खिलाडि़यों पर दिखा। भारतीय टीम अगर रंग में होती तो कोई वजह नहीं थी कि सोना उनके साथ से छिटक जाता।

कोरिया से हारे तो हम फिर संभल नहीं पाए। इरान ने भी संभलने का मौका नहीं दिया और हम सेमीफाइनल गंवा बैठे। यही वजह है एशियाड में कबड्डी के 28 साल के इतिहास में पहली बार कांसे से संतोष करना पड़ा। निश्चित तौर पर मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। पर हमारे खिलाड़ी इस हार को भुलाकर आगे की तैयारी में जुट रहे हैं।

नई टीमों का प्रदर्शन कैसा रहा?

कुछ नई टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया। कबड्डी का विस्तार हो रहा है। कुछ लोग किसी टीम की दो माह जिम्मेदारी संभाल कर उसकी जीत का श्रेय खुद लेते हैं। टीम का श्रेय उसे मिलता है जिसने बेस से टीम तैयार की हो।

सही मायने में तो देखा जाए तो इंडोनेशियाई कबड्डी टीम सबसे नई रही और तीन मैच जीती। उस टीम के मुख्य कोच छाजूराम गोयत को इस तरह के प्रदर्शन का श्रेय दिया जा सकता है। वह इसलिए कि उन्होंने यह टीम बेस से उठाई है। एक मैच और जीत जाती तो वह सेमीफाइनल में होती और पदक की हकदार होती। उनके प्रदर्शन को सराहा जाना चाहिए। 

क्या अगले साल विश्व कप में स्वर्ण जीतेंगे?

भले ही हम एशियन गेम्स में स्वर्ण नहीं जीत पाए, लेकिन हमारी टीम फिर से फॉर्म दिखाने को तत्पर है। हम एक बार फिर पूरे जोश के साथ अगले साल होने वाले विश्व कप में उतरेंगे। हमारे सभी खिलाड़ी दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। हार जीत खेल का हिस्सा हैं। हम विश्व कप में स्वर्ण जरूर जीतेंगे।

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