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एशियन गेम्स 2018: जब भारतीय दिग्गजों के सामने बुरी तरह फ्लॉप रहे थे सौरभ चौधरी

सिर्फ नौ माह में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सौरभ की तपस्या ऐसी रंग लाई कि उसने अपनी पहली ही सीनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर सबको चौंका दिया

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 12:57 PM (IST)
एशियन गेम्स 2018: जब भारतीय दिग्गजों के सामने बुरी तरह फ्लॉप रहे थे सौरभ चौधरी
एशियन गेम्स 2018: जब भारतीय दिग्गजों के सामने बुरी तरह फ्लॉप रहे थे सौरभ चौधरी

नई दिल्ली, निखिल शर्मा। दिसंबर 2017, जगह केरल का तिरुवंतपुरम, सीनियर राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप। सामने थे जीतू राई, शहजर रिजवी और ओमप्रकाश मिथरवाल जैसे भारत के दिग्गज निशानेबाज।

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जाहिर है ऐसे दिग्गजों के सामने एशियन गेम्स में सामने आए नन्हें सूरमा सौरभ चौधरी का बिखर जाना तय था। सिर्फ नौ माह में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के सौरभ की तपस्या ऐसी रंग लाई कि उसने अपनी पहली ही सीनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर सबको चौंका दिया।

आखिरी स्थान से पहला स्थान 

बात पिछले वर्ष सीनियर राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप की है। यहां सौरभ पहली बार भारत के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेताओं के साथ सीनियर स्पर्धा में भाग ले रहे थे। सामने थे ओलंपियन जीतू राय, निशानेबाजी विश्व कप के स्वर्ण पदक विजेता शहजर रिजवी और ओमप्रकाश मिथरवाल। बेशक दोनों ने तब यह स्वर्ण पदक नहीं जीते थे, लेकिन उनकी काबिलियत बहुत थी।

शहजर ने यहां स्वर्ण और ओमप्रकाश ने कांस्य जीता था। अपनी पहली सीनियर स्पर्धा में सौरभ दबाव में बिखर गया था। आठ निशानेबाजों के फाइनल में सौरभ 115.7 के स्कोर के साथ आखिरी स्थान पर रहे। ऐसे में मात्र नौ माह के अंदर सौरभ की तपस्या का नजारा पूरे एशिया ने देखा और उन्होंने विश्व चैंपियन, ओलंपिक चैंपियन तक को हरा दिया।

मात्र तीन वर्ष का करियर

मेरठ के कलीना गांव के रहने वाले सौरभ ने मात्र तीन वर्ष पहले 2014 में निशानेबाजी की शुरुआत की थी। 12 किमी का लंबा सफर रोज साइकिल से तय करते हुए सौरभ बागपत के बिनौली गांव की शूटिंग रेंज में अभ्यास करने जाता था। एक कमरे में बनी शूटिंग रेंज में अमित शेरोन के निर्देशन में 14 वर्ष की उम्र में सौरभ ने अपने सफर की शुरुआत की।

2016 में सौरभ की प्रतिभा को राजस्थान के राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण ने परख लिया। यहां चयन होने के बाद कोच कुलदीप कुमार ने उसकी प्रतिभा को छुपाए रखा। कुलदीप ने बताया वह बेहद ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी है। उसका शांत स्वभाव और एकाग्रता ही उसे लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाती आई है।

ऐसे मिला एशियन गेम्स में मौका 

सीनियर स्पर्धा में खराब प्रदर्शन के सात माह बाद सौरभ को जून में जर्मनी में हुई विश्व जूनियर चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिला। यहां उन्होंने विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए स्वर्ण पदक जीत डाला। इसी प्रदर्शन को देखते हुए सौरभ को एशियन गेम्स में मौका मिला।


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