जानिए, कौन हैं अमित पंघाल जिन्होंने जोरदार मुक्कों से World Boxing Championships में रचा इतिहास
भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने World Boxing Championships में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। अमित चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने।
नई दिल्ली, जेएनएन। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप (World Boxing Championships) में अपने मुक्कों के जोरदार प्रहार से अमित पंघाल ने भारतीय बॉक्सिंग में इतिहास रचा दिया। अमित को भले ही 52 किग्रा भारवर्ग के फाइनल में ओलंपिक चैंपियन उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा लेकिन हार के बाद भी उन्होंने इतिहास रच दिया।
फाइनल मुकाबले में अमित को 0-5 से हार मिली लेकिन वह विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने। इससे पहले भारतीय मुक्केबाजों ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था लेकिन रजत पदक पहली बार मिला है।
कौन हैं अमित पंघाल
हरियाणा के रोहतक में जन्में अमित ने विश्व मंच पर अपने मुक्के की धमक से इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज करा लिया है। अमित का जन्म 16 अक्टूबर 1995 को रोहतक के मैना में हुई था। 49 किलो भार वर्ग में खेलने वाले 23 साल के अमित अब 52 किलो भार वर्ग में बॉक्सिंग करते हैं।
अमित की बॉक्सिंग में उपलब्धि
साल 2017 में अमित के कामयाबी का सफर शुरू हुआ था। इस साल हुए एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। इसी साल अमित ने विश्व चैंपियनशिप में डेब्यू किया और क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे में कामयाब रहे।
अमित ने बुल्गारिया में हुए स्ट्रांदजा मेमोरियल में स्वर्ण पदक अपने किया और फिर 2018 के एशियन गेम्स में अपना डंका बजाया। बैंकॉक में फाइनल मुकाबले में अमित ने रियो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट उजबेकिस्तान के हसनबॉय दुश्मातोव को हरा स्वर्ण पदक हासिल किया।
अमित ने बदला भार वर्ग
49 किलो भार वर्ग में बॉक्सिंग करने वाले अमित ने ओलंपिक कार्यक्रम से इसके हटने के बाद अपना भार वर्ग बदला। 49 से 52 किलो भार वर्ग में रिंग में उतरने वाले इस मुक्केबाज का जोर कम नहीं हुआ। आज तक भारत को विश्व चैंपियनशिप में कभी कांस्य पदक से ज्यादा हासिल नहीं हुआ था। अमित ने फाइनल में पहुंचने के साथ ही इस इतिहास को बदल दिया।
अमित से पहले भारत को मिले कांस्य पदक
भारतीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्ण (2011), शिव थापा (2015) और गौरव बिधुड़ी (2017) ने कांस्य पदक हासिल किया था लेकिन अमित ने मेडल का रंग बदला है।