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ना उम्र की सीमा हो, ना पदक का हो बंधन; मोमीजी ने 13 तो रशीदी ने 58 की उम्र में जीता पदक

खेल में उम्र महज एक संख्या है और ये साबित हो गया है टोक्यो ओलंपिक 2020 में जहां एक 13 साल की खिलाड़ी ने गोल्ड मेडल जीता है जबकि 58 साल के एक खिलाड़ी ने कांस्य पदक अपने नाम किया है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 09:19 PM (IST)
ना उम्र की सीमा हो, ना पदक का हो बंधन; मोमीजी ने 13 तो रशीदी ने 58 की उम्र में जीता पदक
Abdullah Al Rashidi ने इस ओलंपिक में 58 साल की उम्र में पदक जीता है (फोटो ट्विटर)

टोक्यो, एपी। उम्र को लेकर हमेशा बहस होती रहती है, लेकिन कुछ लोग होते हैं जो बहस को दरकिनार करने के लिए ही पैदा होते हैं। उनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है। टोक्यो ओलिंपिक में सोमवार को कुछ ऐसा ही हुआ। जिस उम्र में बच्चे खिलौनों या वीडियो गेम से खेलते हैं, उस उम्र में ओलिंपिक की स्केटबोर्डिंग स्पर्धा में महज 13 साल की बेटियों ने हैरतंगेज करतब दिखाकर स्वर्ण और रजत पदक पर अपना कब्जा जमाया। इसके ठीक विपरीत जिस उम्र (58 साल) में लोग संन्यास लेकर अपने परिवार के साथ जीवन का आनंद लेने की सोच रहे होते हैं, उस पड़ाव पर कुवैत के अब्दुल्ला अल रशीदी ने सटीक निशाना लगाते हुए कांस्य पदक जीतकर सभी को चौंका दिया।

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स्केटबोर्डिंग की बात करें तो 13 साल 330 दिन कि उम्र में जापान की मोमिजी निशिया ने 15.26 के स्कोर के साथ पहला ओलिंपिक खेलते हुए पहला स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उनके अंतिम तीन प्रयास (4.15, 4.66, और 3.43) पोडियम पर शीर्ष स्थान को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त थे, क्योंकि उन्होंने ब्राजील की रेसा लील (13 साल 203 दिन) और 16 वर्षीय फुना नाकायामा को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। रेसा लील, जो न केवल ब्राजील की सबसे कम उम्र की पदक विजेता हैं, बल्कि एक ओलिंपियन भी हैं, उन्होंने 14.64 के स्कोर के साथ रजत पदक जीता और नाकायामा ने 14.49 के स्कोर साथ कांस्य पदक जीता। हालांकि, यह दिन मोमीजी निशिया का था, जिनका नाम ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला स्केट बोर्डर के रूप में दर्ज किया गया है। वहीं, जापान के लिए इस खेल में पुरुषों की प्रतियोगिता में विजेता यूटो होरिगोम रहे।

दूसरी तरफ 58 वर्षीय कुवैत के अब्दुल्ला अल रशीदी ने ओलिंपिक स्कीट निशानेबाजी के 60 में से 46 शॉट लक्ष्य में मारकर कांस्य पदक जीता और दुनिया को दिखा दिया कि उनके लिए उम्र महज एक आंकड़ा है। यही नहीं पदक जीतने के बाद उन्होंने 2024 में पेरिस ओलिंपिक में स्वर्ण पर निशाना लगाने का भी वादा किया जब वह 60 पार हो चुके होंगे। अल रशीदी ने कहा, "मैं 58 वर्ष का सबसे बुजुर्ग निशानेबाज हूं। यह कांस्य मेरे लिए सोने से कम नहीं। मैं इस पदक से बहुत खुश हूं लेकिन उम्मीद है कि अगले(पेरिस) ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतूंगा।"

अल रशीदी ने पहली बार 1996 अटलांटा ओलिंपिक में भाग लिया था। उन्होंने रियो ओलिंपिक 2016 में भी कांस्य पदक जीता था लेकिन उस समय स्वतंत्र खिलाड़ी के तौर पर उतरे थे क्योंकि कुवैत पर अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति ने प्रतिबंध लगा रखा था। अब कुवैत के लिए खेलते हुए पदक जीतने के बारे में अल रशीदी ने कहा, "रियो में पदक से मैं खुश था लेकिन कुवैत का ध्वज नहीं होने से दुखी था। आप समारोह देखो, मेरा सर झुका हुआ था। यहां मैं खुश हूं क्योंकि मेरे मुल्क का झंडा यहां है।"

13 साल 330 दिन की सबसे कम उम्र में ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी बनी मोमिजी निशिया। इससे पहले 1936 में बर्लिन ओलिंपिक में 13 साल 268 दिन की उम्र में मार्जोरी गेस्टि्रंग ने महिलाओं की तीन मीटर स्पि्रंगबोर्ड स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था


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