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एशियन चैंपियन धाविका पर लगा चार साल का बैन, छीन गया मेडल

31 वर्षीय भारतीय महिला धावक पर चार साल का बैन लगाया गया और उनका टाइटल भी छीन लिया गया।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 11:33 AM (IST)
एशियन चैंपियन धाविका पर लगा चार साल का बैन, छीन गया मेडल
एशियन चैंपियन धाविका पर लगा चार साल का बैन, छीन गया मेडल

नई दिल्ली, जेएनएन। एशियन चैंपियन भारतीय महिला धाविका गोमती मारिमुथु को डोपिंग के आरोप में चार साल के लिए बैन कर दिया गया है साथ ही उन्होंने 800 मीटर का जो एशियन चैंपियनशिप टाइटल जीता था उसे भी छीन लिया गया है। एथलेटिक्स इंटेग्रिटी यूनिट ने कहा कि 31 वर्षीय भारतीय धावक पर मई 2023 तक प्रतिबंध लगाया जाएगा और पिछले साल की उस वक्त की दो महीने की अवधि में सभी दौड़ से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

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पिछले साल यानी 2019 अप्रैल में कतर में आयोजित एशियाई ट्रैक चैंपियनशिप में एनाबॉलिक स्टेरॉयड नैंड्रोलोन के लिए किए गए टेस्ट के बाद वो पॉजीटिव पाई गई थीं। इसके बाद पिछले महीने भी सैंपल के तीन  और टेस्ट किए गए थे जिसे सकारात्मक पाया गया था। उनके एशियन टाइटल जीतने के बाद उन टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटीव पाया गया था। इसके बाद ही उन पर बैन लगाने और उनसे टाइटल छीनने की बात कही गई थी और उन पर अस्थाई तौर पर बैन लगा भी दिया गया था।  

8 फरवरी 1989 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जन्मी गोमती भारतीय महिला एथलीट हैं और वो भारतीय ट्रैक एंड फील्ड मिडिल डिस्टेंस रनर हैं। उन्होंने साल 2019 दोहा (कतर) में आयोजित एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिला 800 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था, लेकिन अब इस सजा के बाद उनका ये गोल्ड मेडल छीन लिया जाएगा। इसके अलावा 8 मार्च से 17 मई 2019 के बीच उन्होंने जितने भी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था, उसमें उनकी भागीदारी को रद्द कर दिया गया है। गोमती अब खेल पंचाट न्यायालय यानी सीएएस में इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं।

आपको बता दें कि गोमती ने अपना 800 मीटर का रेस पिछले साल एशियन चैंपियनशिप के दौरान दोहा में 2:2:70 मिनट का समय लेते हुए पूरा किया था। इसी चैंपियनशिप के दौरान उनका डोप टेस्ट हुआ था और उनके ए सैंपल में स्टेरॉयड पाया गया था। वहीं उनके कोच जसविंदर सिंह भाटिया ने खुद को इस विवाद से अलग कर लिया था। भाटिया ने कहा था कि फेडरेशन कप के बाद, गोमती शिविर के लिए चुनी गई थीं। वे कुछ समय के लिए मेरे साथ थीं, क्योंकि उन्हें 13 अप्रैल को पटियाला में ट्रायल्स के लिए जाना था। वहां से वे दोहा चली गई थीं। यानी कोच के इस बयान से तो ये साफ हो रहा था कि जो कुछ भी हुआ था वो उनकी जानकारी में नहीं था। 


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