महिला धावक मोनिका चौधरी का दावा, साजिश के तहत डोपिंग में फंसाया गया
26 सितंबर की दोपहर को मेरे पास पहले एएफआइ से फोन आया कि मैं डोप टेस्ट में फंसी हूं।
नई दिल्ली, निखिल शर्मा। डोपिंग में फंसी 1500 मीटर की महिला धावक मोनिका चौधरी ने कहा कि उनके साथ साजिश हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुए स्पेशल ट्रायल के दौरान उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ के सचिव पीके श्रीवास्तव से उनके पति का झगड़ा हुआ था।
इसी झगड़े का मुझे यह सिला दिया गया है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली मोनिका ने कहा कि उनके साथ जो भी हुआ वह साजिश के तहत हुआ है। मैं भूटान में भारतीय एथलेटिक्स संघ (एएफआइ) के नेतृत्व में ट्रेनिंग ले रही थी। मुझे पता था कि मुझे एशियन गेम्स खेलना है तो मैं डोपिंग क्यों करूंगी।
मैंने तो गुवाहाटी में ही क्वालीफाई मार्क छू लिया था। वहां मेरे डोपिंग की बात सामने क्यों नहीं आई। मोनिका ने आरोप लगाया कि पीके श्रीवास्तव और कोच जेएस भाटिया नहीं चाहते थे कि मैं आगे बढूं। भाटिया चाहते थे कि मैं उनके अंडर में ही ट्रेनिंग जारी रखूं। मैंने ऐसा नहीं किया तो सबने मिलकर मेरे साथ ऐसा किया। मोनिका ने आगे बताया कि भुवनेश्वर में चल रही राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए मैंने ऑनलाइन एंट्री भरी थी। तब तक कोई दिक्कत नहीं थी।
26 सितंबर की दोपहर को मेरे पास पहले एएफआइ से फोन आया कि मैं डोप टेस्ट में फंसी हूं। इसके कुछ देर बाद राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संस्था (नाडा) से कॉल आया कि आपका टेस्ट पॉजीटिव आया है और आप अपनी ईमेल आइडी बताइए। हमें पत्र की कॉपी भेजनी है। 10 सितंबर को यह पत्र जारी हुआ। ऐसे में 26 सितंबर से पहले मुझे ऐसा कोई भी पत्र नहीं मिला था। एएफआइ और उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ ने मेरे से यह बात छुपाए रखी।
मैं एएफआइ के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी नहीं गई, क्योंकि मैं इस मामले को ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहती थी। इसके बावजूद भी मेरे साथ सभी ने मिलकर यह व्यवहार किया है। जब इस बारे में पीके श्रीवास्तव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस गैरजिम्मेदाराना बयान का कोई जवाब नहीं देना चाहता। मैं हमेशा एथलीटों का सहयोग करता हूं और मोनिका को खास तौर पर भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।