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कितना खरा है ओलंपिक स्वर्ण पदक?

नई दिल्ली। हर एक खिलाड़ी का सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना होता है। आम धारणा यह है कि एक स्वर्ण पदक पूर्ण रूप से सोने का बना होता है लेकिन ऐसा नहीं है। आम धारणा के विपरीत एक ओलंपिक स्वर्ण पदक में सिर्फ नाम मात्र का ही सोना होता है। इस बार ओलंपिक में खिलाड़ियों को 400 ग्राम वजन का स्वर्ण पदक दिया जा रहा है लेकिन उसमें मात्र 1.34 फीसदी खरा सोना है जबकि 92.5 फीसदी चांदी और 6.61 फीसदी तांबे का मिश्रण है।

By Edited By: Published: Mon, 06 Aug 2012 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2012 02:25 PM (IST)
कितना खरा है ओलंपिक स्वर्ण पदक?

नई दिल्ली। हर एक खिलाड़ी का सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना होता है। आम धारणा यह है कि एक स्वर्ण पदक पूर्ण रूप से सोने का बना होता है लेकिन ऐसा नहीं है। आम धारणा के विपरीत एक ओलंपिक स्वर्ण पदक में सिर्फ नाम मात्र का ही सोना होता है।

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अब लंदन ओलंपिक को ही लीजिए। इस बार ओलंपिक में खिलाड़ियों को 400 ग्राम वजन का स्वर्ण पदक दिया जा रहा है लेकिन उसमें मात्र 1.34 फीसदी खरा सोना है जबकि 92.5 फीसदी चांदी और 6.61 फीसदी तांबे का मिश्रण है। इस प्रकार आज की तारीख में देखा जाए तो एक सोने के पदक की कीमत लगभग 38,900 रुपये है। ओलंपिक इतिहास में यह अब तक का सबसे महंगा पदक है। यदि यह पदक सौ फीसदी खरा सोने का बना होता तो इसकी कीमत आज 12,22,540 रुपये होती। लंदन ओलंपिक में खिलाड़ियों को लगभग 300 स्वर्ण पदक दिए जाएंगे। ऐसे में यदि 300 स्वर्ण पदकों की कीमत आंकी जाए तो वह आज की तारीख में 66 लाख डालर के करीब होता।

ओलंपिक के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े आकार का पदक लंदन ओलम्पिक में खिलाड़ियों को दिया जा रहा है। इस पदक का वजन 400 ग्राम है जो सात मिलीमीटर मोटा है। इस पदक की चौड़ाई लगभग 85 मिलीमीटर है।

इससे पहले, स्पेन के बार्सिलोना में 1992 में आयोजित ओलंपिक में बड़े आकार के पदक दिए गए थे। उस समय पदकों का वजन 231 ग्राम था। 2008 बीजिंग ओलंपिक में इसका वजन 200 ग्राम था जो छह मिलिमीटर मोटा तथा 70 मिलिमीटर चौड़ा था। ऐसा नहीं है कि ओलंपिक में कभी सौ फीसदी खरा सोने का पदक नहीं दिया गया। वर्ष 1912 में स्टाकहोम ओलंपिक में 24 ग्राम वजनी खरे सोने का पदक दिया गया था, जिसे स्वीडन ओलंपिक के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1896 पहले आधुनिक ओलंपिक में पहले स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को चांदी का जबकि उप विजेता को तांबे से बना पदक दिया जाता था। इसके बाद 1900 में विजेता को ट्राफी और कप दिए गए थे। वर्ष 1904 में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से खिलाड़ियों को नवाजे जाने का चलन शुरू हुआ। इस पदक की डिजाइन तैयार करने का हक मेजबान देश को होता है। लंदन ओलंपिक के पदकों को डेविड वाटकिंस ने तैयार किया है।, इन पदकों पर यूनान में जीत की प्रतीक देवी-नाइकी की तस्वीर उकेरी गई है।

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