ओडिशा सरकार के लिए अच्छी खबर, वज्रपात से मौत कम करने में सबसे आगे है ये राज्य
वज्रपात से होने वाली मौत रोकने और लोगों को बचाने में ओडिशा अन्य राज्यों से आगे है इसका श्रेय यहां पहले से उठाये गये कदमों को जाता है।
सुंदरगढ़, सुनील अग्रवाल। बारिश के दिनों में वज्रपात पहाड़ी इलाकों में बड़ी समस्या है। बादलों की तड़तड़ाहट के बीच आसमान से गिरने वाली यह बिजली किसी न किसी परिवार में मातम पासर देती हैं। ओडिशा भी इस आसमानी बिजली के कहर से अछूता नहीं है। ये अलग बात है कि वज्रपात से होने वाली मौत रोकने और लोगों को बचाने में राज्य देश के अन्य राज्यों से आगे है। इसका श्रेय इस राज्य की पूर्व चेतावनी लागू करना व अन्य प्रतिषेधक कदम उठाने को जाता है।
अप्रैल से जुलाई तक सर्वाधिक 15 फीसद वज्रपात ओडिशा में
एक सर्वे के मुताबिक इस वर्ष 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच देश भर में होने वाले कुल वज्रपात में सबसे ज्यादा 15 फीसद ओडिशा में होने की खबर है। अगर गिनती में देखें तो यह आंकड़ा करीब नौ लाख के करीब है। ओडिशा के लिए अच्छी खबर यह है की सरकार द्वारा उठाये गए कदमों के कारण यहां वज्रपात से होने वाली मौतें अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम हैं।
चार महीने में 129 लोगों की मौत
ओडिशा में एक अप्रैल से 31 जुलाई कुल हुए नौ लाख वज्रपात के दौरान 129 लोगों की जाने जाने की खबर है जबकि यह आंकड़ा सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 224, उसके बाद बिहार में 170, झारखंड में 118 तथा मध्यप्रदेश में 102 है। जानकारों के मुताबिक इससे होने वाले नुकसान को हम अधिक सर्ज रक्षक यंत्रों के स्थापना तथा वज्रपात सर्ज एरिया में लोगों को सुरक्षा दे इसे शून्य किया जा सकता है। झारखंड छोटानागपुर पठार क्षेत्र सहित ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्र वज्रपात से अत्यधिक प्रभावित है। जहां जनजातीय आबादी रहती है।
आंकड़े यह भी बताते हैं की ओडिशा सहित पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड तथा कुछ नार्थ ईस्ट इलाकों में भी पूर्व चेतावनी प्रणाली को लागू कर अधिक वज्रपात के बावजूद पिछले वर्षों के मुकाबले इससे होने वाले जान के नुकसान में भारी कमी आई है।
चक्रवात फणि का सामना करने में मिली मदद
चक्रवात फणि की अगर बात करें तो गत तीन मई को ओडिशा में इसके पहुंचने पर करीब एक लाख बार तेज वज्रपात हुआ। लेकिन पूर्व तैयारियों के कारण किसी प्रकार की जानहानि नहीं हुई। इसका एक मात्र कारण है सरकारी तत्परता एवं पहले तैयारी। 891 राहत आश्रयों के निर्माण सहित इनमें सर्ज रक्षक यंत्रों की स्थापना तथा प्रभाव वाले संभावित इलाकों से 1.2 लाख लोगों को समय पर स्थानांतरण कर लिया गया। जबकि यह चक्रवात कमजोर पड़ने के बाद चार मई को उत्तर-पश्चिम होते हुए झारखंड, बिहार तथा उत्तर प्रदेश की ओर गति करने पर सूक्ष्म वज्रपात होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के चंदौली में दस मौते होने की सूचना है। इसका एक मात्र कारण है पूर्व चेतावनी प्रणाली को लागू ना करना और समुचित सर्ज रक्षक यंत्र यानि लाइटनिंग प्रोटेक्टर उपकरणों की स्थापना में अनदेखी करना।