सरकारी स्कूल संवारने में लगा दी अपनी ¨जदगी
बस इच्छाशक्ति मजबूत होनी चाहिए। आदमी कुछ भी कर सकता है। कह
महेन्द्र महतो, राउरकेला : बस इच्छाशक्ति मजबूत होनी चाहिए। आदमी कुछ भी कर सकता है। कहने को तो सुंदरगढ़ जिले के कुआमुंडा प्रखंड अंतर्गत कुमझरिया हाईस्कूल सरकारी है। लेकिन यहां की साज सज्जा व पढ़ाई देखने से किसी कान्वेट स्कूल का अहसास होता है। यह सब यूं ही नहीं हुआ बल्कि इसे स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय सामल ने अपनी लगन और परिश्रम की बदौलत स्थापित किया है। सामल ने घर-बार की चिंता छोड़ कर स्कूल और विद्यार्थियों को संवारने में अपनी ¨जदगी लगा दी है। इस काम में वह अपने वेतन की पूरी राशि खर्च कर देते हैं। स्कूल और छात्र ही उनके लिए सब कुछ हैं। उनकी इस लगन का अभिभावक भी सम्मान करते हैं। यही कारण है कि वर्ष 2004 में जब वे यहां सहायक शिक्षक के रूप में आए तब 180 विद्यार्थियों की संख्या आज बढ़कर 1097 हो गई है।
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जीता अभिभावकों का विश्वास : सामल जिस समय यहां आए तब सातवीं कक्षा तक पढ़ाई होती थी। उस समय केवल चार शिक्षक थे। माहौल ठीक न होने से कोई यहां रहना नहीं चाहता था। 2008 में आठवीं की पढ़ाई शुरू हुई। इसके बाद 2011 में प्रधानाध्यापक का पद संभाला एवं 2014 में इसे हाईस्कूल की मान्यता दिलायी। वर्तमान में यहां कुल 20 सेक्शन हैं। यहां 35 शिक्षक पढ़ा रहे हैं जिनमें 17 सरकारी और 18 गैरसरकारी शिक्षक हैं। छात्रावास में अब 487 बच्चे रहते हैं। अब यहां संपन्न परिवार के बच्चे भी पढ़ाई कर रहे हैं। परिणाम भी अच्छा हो रहा है। इसी वर्ष मैट्रिक में दो छात्रों को 80 फीसद से अधिक अंक मिला। छात्रवृत्ति, पठानी सामंत मेधा परीक्षा में भी बच्चों को सफलता मिल रही है। इस स्कूल में स्मार्ट क्लास तथा कंप्यूटर की शिक्षा के साथ सप्ताह में एक दिन सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य जागरूकता की भी कक्षाएं होती हैं। हॉकी, फुटबाल व चेस का प्रशिक्षण देने के लिए कोच भी बुलाए जाते हैं।
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स्कूल को मिल चुका है कई पुरस्कार : पहले यहां शौचालय व पानी जैसी जरूरी चीजें नहीं थीं। सामल ने अपने पैसे से शौचालय बनाया और डीप बोर वेल करा कर ओवर हैड टंकी लगवाई। स्कूल परिसर में तरह तरह के पौधे लगाकर इसकी सुंदरता बढ़ाई। मध्याह्न भोजन सरकार की ओर से मिलता है पर पौष्टिकता बढ़ाने के लिए दाल, साग, मिक्स सब्जी अपने पैसे से लाते हैं। यही कारण है कि 2014 में स्कूल को बेस्ट मिड डे मील का अवार्ड मिला। वर्ष 2016 में स्वच्छता के लिए राज्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। सामल बताते हैं कि विभाग से पुरस्कारों के लिए आवेदन करने का ऑफर मिला पर व्यक्तिगत सम्मान नहीं चाहता। स्कूल का नाम ऊंचा हो और विद्यार्थियों का परिणाम अच्छा हो यही एकमात्र लक्ष्य है।