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खदानों में बेलगाम हुई अवैध ब्लास्टिंग

सुंदरगढ़ जिले में पत्थर माफिया खदानों के आसपास गांवों में रहने वालों के लिए मुसीबत का पहाड़ बन गए है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 12:35 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:18 AM (IST)
खदानों में बेलगाम हुई अवैध ब्लास्टिंग
खदानों में बेलगाम हुई अवैध ब्लास्टिंग

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले में पत्थर माफिया खदानों के आसपास गांवों में रहने वालों के लिए मुसीबत का पहाड़ बन गए है। आए दिन खदानों मे अवैध रूप से हो रही ब्लास्टिंग ने आसपास के ग्रामीणों की नींद हराम कर रखी है। इलाके में गूंजती धमाकों की आवाज से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पूरी रात इस आशंका में आंखों गुजार देते हैं कि कहीं उनके घर की दीवार दरकने से जानमाल का नुकसान न हो जाए।

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ग्रामीणों की माने तो अधिकांश खदानों में विभागीय अनुमति के बगैर रात के अंधेरे में ब्लास्टिंग कर भारी मात्रा में पत्थर का खनन कर माफिया इसे चोरी-छिपे झारखंड व छत्तीसगढ़ में बेचकर माला-माल हो रहे हैं। जबकि इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने से सरकार को लाखों रुपये राजस्व की चपत लगाई जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार रोजाना एक-एक खदान से हाइवा आदि वाहनों के जरिये पत्थर क्रशर यूनिट भेजकर वहां से मेटल और चिप्स निकलने के बाद पड़ोसी राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ में भेज दिया जाता है। ऐसा सालों से चल रहा है।

हैरानी की बात यह है कि इन सभी खदानों को नीलाम करने के बजाय, कुछ अधिकारी माफिया को इसके लिए अस्थायी पास (टीपी) दे दिए गए है। नतीजतन, उन्हें जितने ट्रक माल उठाने की अनुमति मिली है उससे 10-15 गुना अधिक संख्या में वाहन लगाकर वे पत्थर उठा रहे हैं।

हालांकि वर्षा के कारण कुछ खदानों में खनन रुका हुआ है लेकिन अन्य खदानों में अवैध रूप से ब्लास्टिग जारी है। स्थानीय लोगों के विरोध व शिकायत के बावजूद संबंधित विभाग व स्थानीय पुलिस माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय नजर फेरे हुए है।

पांच दिन पहले ग्रामीणों ने किया था थाना का घेराव :

बीरमित्रपुर थाना अंतर्गत अंधारी पंचायत के ग्रामीणों ने पांच दिन पहले ही क्षेत्र की खदानों में हो रही ब्लास्टिंग को लेकर जमकर हंगामा किया था। इस दौरान ग्रामीणों ने थाने का घेराव करते हुए आरोप लगाया था कि क्षेत्र में अवैध रूप से हो रही ब्लास्टिंग के कारण उनके घरों की दीवारों में दरार आ रही है। देर रात धमाके होने से पूरी रात सोना मुश्किल हो जाता है। लाठीकटा क्षेत्र में कपलिंग मशीन का होता इस्तेमाल लाठीकटा प्रखंड क्षेत्र में भी शिकायतों की सूची काफी लंबी है। यहां ड्रिल की कपलिग मशीन के जरिए 15 से 20 फीट तक गड्ढा खोदकर ब्लास्ट किया जा रहा है। खदान की ब्लास्टिग के लिए बाउंड्री लाइन नहीं होने के कारण वायु व ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। इससे ग्रामीण व्यापक क्षति के शिकार हो रहे हैं। रोजाना सैकड़ों की संख्या में भारी वाहनों के गुजरने से ग्रामीण सड़कों की हालत बदतर हो गई है। स्थानीय लोगों के बार-बार विरोध प्रदर्शन के बाद विभागीय उच्च-अधिकारियों ने कुछ स्थानों पर खनन को पूरी तरह से रोक दिया है।

लक्ष्य से अधिक राजस्व संग्रह :

वहीं, राजस्व सृजन के लिए खानों को जो लक्ष्य दिया गया है, उससे बहुत अधिक राजस्व आ रहा है। बगैर अनुमति के पत्थर खदान में किस तरह उत्खनन हो रहा है, इससे स्पष्ट हो जाता है। वित्त वर्ष 2019- 20 में चारों ब्लॉकों को 16.50 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य दिया गया था। लेकिन कलेक्शन 22 करोड़ रुपये से ज्यादा हुआ है। इससे पता चलता है कि किस तरह से खुलेआम अवैध काम हो रहा है। इसलिए पत्थर की चोरी की जड़ें कहां तक गईं, इसकी एक व्यवस्थित जांच की जरूरत है।

44 खदानों में मुटठी भर की ही नीलामी :

पानपोष उप-जिलापाल कार्यालय के अनुसार, राउरकेला तहसील, बिसरा, कुआरमुंडा, लठीकटा और बीरमित्रपुर में कुल 44 पत्थर खदाने हैं। राउरकेला तहसील में 3 खदानें, बिसरा में 4, कुआरमुंडा में 3, लठीकाटा ब्लॉक में 28 और बीरमित्रपुर तहसील में 6 खदानें हैं। इनमें से मुट्ठी भर पत्थर खदान लीज पर हैं। कुछ खदान टीपी में चल रहीं है तथा शेष में बगैर लीज के उत्खनन हो रहा है। लाठीकाटा ब्लॉक में 28 खदानों में से सात खदानों को 2017-18 में अगले पांच वर्षों के लिए नीलाम किया गया है। विवाद के कारण लगभग 12 खदानों को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। तीन पत्थर खदान से निकलने वाले पत्थर का उपयोग राष्ट्रीय राजमार्ग 143 के निर्माण में किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, बालंडा के दो और असुरछपाला में एक खदान की नीलामी की जाएगी। शेष तीन खदानों की स्थिति क्या है, इसकी अधिकारियों को जानकारी नहीं है।

बीरमित्रपुर क्षेत्र में एक भी खदान की नीलामी नहीं :

बीरमित्रपुर डुमंगडोरी, करडेगा, महुलछापर, लासे, अंधारी में पत्थर खदानें हैं। बीरमित्रपुर तहसील कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, एक भी खदान की नीलामी नहीं की गई है। अगर कोई पत्थर खदान की नीलामी नहीं हुई है तो, सवाल यह उठता है कि विस्फोट और पत्थर की तस्करी को क्यों नहीं रोका जाता है। जबकि इन सभी खदानों से निकलने वाले पत्थर को सीधे क्रशर भेजा जाता है। जहां से झारखंड के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जा रहा है। कुआरमुंडा, बिसरा ब्लॉक के साथ राउरकेला में भी इसी तरह पत्थर तस्करी के आरोप सामने आए हैं। कोट

चार ब्लॉकों में कुछ खानों की नीलामी की गई है। अधिकांश खानों को नीलामी के लिए जिलापाल के कार्यालय में भेज दिया गया है। अनुमति मिलते ही नीलामी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

बिस्वजीत महापात्र, पानपोष उप-जिलापाल


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