सात महीने बाद वैष्णो देवी मंदिर में आई रौनक
कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार की ओर से पंडालों में आम लोगों की पूजा पर पाबंदी लगी है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार की ओर से पंडालों में आम लोगों की पूजा पर पाबंदी लगी है। मंदिरों में भी छूट नहीं होने के बावजूद शारदीय नवरात्र की अष्टमी पर शनिवार की सुबह मंदिरों में भारी भीड़ रही। मंदिर कमेटियों की ओर से शारीरिक दूरी व नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना कराई गई। दुर्गापुर पहाड़ी पर स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में सुबह से शाम तक पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माता का दर्शन-पूजन किया। हालांकि श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। बाहर से ही दर्शन कर भक्तों ने मां की आराधना की।
इतिहास : गोपबंधुपल्ली में दुर्गापुर पहाड़ी पर स्थित मां वैष्णो देवी की गुफा की खोज 25 फरवरी 1995 को उस समय हुई जब मंदिर के नीचे चंडीपाठ कराया जा रहा था। भक्तों को पहाड़ी पर गुफा होने का आभास हुआ था एवं वहीं पर माता का पिड मिला था। भक्तों के प्रयास से यहां करीब ढाई सौ मीटर ऊंचाई पर 750 सीढ़ी तैयार कर भव्य मंदिर का निर्माण कराने के बाद 2003 में मां वैष्णो देवी की प्राण प्रतिष्ठा की गई। नवरात्रि ही नहीं बल्कि आम दिनों भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन के लिए यहां आते हैं। भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाली मां वैष्णो देवी का मंदिर आस्था का केंद्र बना है।
सुबह से शाम तक रही भीड़ : महा अष्टमी को लेकर वैष्णो देवी मंदिर में सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर के अध्यक्ष राजू चांडक ने बताया कि सरकार द्वारा मंदिर के पट आम भक्तों के लिए खोलने की अनुमति नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को गुफा के अंदर माता का दर्शन करने से रोका गया। सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लग गई थी। भक्तों को दुर्गा मंदिर के पास से गुफा का दर्शन कराते हुए बाहर निकाला गया। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन कराया गया साथ ही श्रद्धालुओं से मास्क पहनने का अनुरोध किया गया। इसमें मां वैष्णो देवी परिवार के उपाध्यक्ष कुनू यादव, मंजय शर्मा, पिटू धलसामंत, दिनेश, चेतन आदि कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम रही।
दो दर्जन दुकानदारों में जगी उम्मीद : कोरोना महामारी के चलते मंदिर बंद होने के कारण नीचे पूजा प्रसाद बेच कर आजीविका चलाने वाले दो दर्जन से अधिक दुकानदारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया था। नवरात्र आने पर श्रद्धालु मंदिर आने लगे। अष्टमी के दिन अधिक भीड़ रही जिससे उनकी आजीविका फिर से पटरी पर आने की उम्मीद जगी है। प्रसाद दुकानदार रतन प्रसाद ने बताया कि सात महीने से उनका कारोबार ठप था। नवरात्रि आने व सरकार की ओर से हल्की ढील मिलने के बाद श्रद्धालु फिर से मंदिर आ रहे है। अष्टमी के दिन बिक्री अच्छी रही। पहले पूरे नवरात्र में रौनक रहता था पर इस साल ऐसा नहीं है।
कुष्ठरोगी व दिव्यांगों को भी मिला रोजगार : मां वैष्णो देवी मंदिर पर तीन दर्जन से अधिक दिव्यांगों की आजीविका भी टिकी है। सविता नायक ने बताया कि कोरोना के चलते मंदिर बंद कर दिया गया था। इससे भक्त नहीं आ रहे थे एवं उनकी आजीविका छिन गई थी। मंदिर में मांगने के बजाय घर-घर जाकर मांगना पड़ता था। हाथ पैर ठीक नहीं होने के कारण यह काम मुश्किल था। अब मंदिर में भक्त आने लगे हैं। पूजा कर लौटने वाले भक्तों से जो कुछ मिल जाता है उसी से संतोष करना पड़ता है। प्रत्येक के हिस्से में पचास से सौ रुपये तक आ जाते हैं।