यात्रियों के इंतजार में ही गुजर जाता है कुलियों का दिन
सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुली इन दिनों काफी परेशान हैं। ट्रेन आते ही भाग कर डिब्बों में चढ़कर यात्रियों का सामना उठाना और फिर मेहनत की कमाई से घर परिवार चलाने वाले कुलियों के सामने लॉकडाउन के चलते दो वक्त की रोटी का संकट मंडरा रहा है।
तन्मय सिंह राजगांगपुर
सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुली इन दिनों काफी परेशान हैं। ट्रेन आते ही भाग कर डिब्बों में चढ़कर यात्रियों का सामना उठाना और फिर मेहनत की कमाई से घर परिवार चलाने वाले कुलियों के सामने लॉकडाउन के चलते दो वक्त की रोटी का संकट मंडरा रहा है।
कोरोना महामारी की रोकथाम के मद्देनजर सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाया गया है। कभी ना रुकने वाले रेल के पहिए भी इस कारण लगभग थम से गए हैं। ऐसे में हमेशा यात्रियों से गुलजार रहने वाला राजगांगपुर रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ है। लॉकडाउन के चलते प्राय: सभी ट्रेनों का परिचालन बंद होने से कुलियों के सामने आर्थिक संकट सहित रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। हालांकि कुछ ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। लेकिन इस लॉकडाउन के कारण लोग कम ही यात्रा कर रह हैं। इस कारण से स्टेशन पर यात्रियों की संख्या नहीं के बराबर है और कुलियों की कमाई लगभग बंद सी हो गई है। ऐसे में कुलियों को घर परिवार चलाने में काफी मुश्किल हो रही है। इनकी कमाई ट्रेनों के परिचालन एवं यात्रियों से होती थी। हालांकि दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिक मजदूर आ रहे हैं लेकिन श्रमिक कुलियों का सहारा नहीं लेते है। जिससे कुलियों की थोड़ी-बहुत भी कमाई नहीं हो पा रही है। जिससे वे भुखमरी की कगार पर पहुंचे गए हैं और उन्हें सरकार की मदद का इंतजार है। हालांकि अभी तक कोई भी मदद नहीं दी गई है। कुलियों की समस्या से शहरवासी भी दुखी है। उनका कहना है कि रेल मंत्री को इन कुलियों की समस्याओं का समाधान करने की पहल करनी चाहिए।
सुरेश यादव, दशरथ यादव, उमेश यादव ने बताया कि विगत 25 सालों से कुली का काम कर रहे हैं लेकिन कभी ऐसा समय नहीं देखा था। लॉकडाउन के चलते भुखमरी की नौबत आ गई है। परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं। पिछले साल भी कोरोना महामारी के कारण ट्रेन परिचालन ठप हो गया था। इस साल गिनी-चुनी ट्रेन चल रही है और यात्रियों की संख्या भी कम होने से कुलियों की कमाई पर काफी असर पड़ा है। परिवार चलाना मुश्किल है और सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल रही है। कहा कि कुछ यात्री कोरोना संक्रमण के चलते अपना सामान कुलियों को देने के लिए हिचकिचा रहे हैं। पहले प्राय: तीन सौ से पांच सौ रुपये तक की कमाई रोजाना हो जाया करती थी। लेकिन अब सुबह से शाम बैठे बैठे गुजर जाती है। कमाई नहीं होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।