¨जदगी मौत न बन जाए, संभालो यारों..
कहावत है कि सावधानी हटी, दुघर्टना घटी। लेकिन सुनता कौन है, कौ
संवाद सूत्र, राजगांगपुर: कहावत है कि सावधानी हटी, दुघर्टना घटी। लेकिन सुनता कौन है, कौन मानता है। राजगांगपुर रेलवे फाटक में हर दिन कुछ ऐसा ही नजारा नजर आता है। दरअसल रेल फाटक बंद होने के बाद भी कुछ लोग उसके नीचे दोपहिया वाहन घुसाकर पटरी पार करते नजर आते है। यह और बात है कि उनकी यह जरा सी चूक मौत का कारण बन सकती है। लेकिन इसकी फिक्र शायद ही किसी को हो।
राजगांगपुर रेलवे स्टेशन से प्रत्येक 15 से 20 मिनट पर रेल गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है। जिससे यहां का फाटक प्राय: बंद ही रहता है। इससे यहां पर हर रोज भीड़ लगी रहती है। लेकिन फाटक बंद होने के बाद भी कई लोग अपने दो पहिया वाहनों को फाटक के नीचे से घुसाकर पार कराकर फाटक पार करने का प्रयास करते है। इसी दौरान अप व डाउन लाइन पर ट्रेन और मालगाड़ियों का आना जाना लगा रहता है। ऐसी सूरत में बंद फाटक के दौरान पटरी पार करना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। आश्चर्य तो यह कि फाटक बंद के दौरान पटरी पार करते समय लोग मोबाइल पर बात भी करते रहते हैं। ऐसी स्थिति में जरा सी चूक खतरनाक हो सकती है। वहीं कुछ लोग अवश्य ट्रेन या मालगाड़ी के गुजर जाने का इंतजार जरूर करते है। यहां पर ओवरब्रिज नहीं होने के कारण आए दिन बंद फाटक होने से लोगों को इंतजार करने के बजाय झुककर पटरी पार करते देखा जा सकता है।