गोवा से लौटे प्रवासी की इलाजरत अवस्था में मौत
प्रवासी मजदूर सुरक्षित घर लौटें इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है। उन्हे खाना मुहैया कराए जाने के साथ-साथ क्वारंटाइन सेंटर में रखकर उनके उपचार के साथ सभी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रति व्यक्ति हजारों रुपये खर्च कर रही है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : प्रवासी मजदूर सुरक्षित घर लौटें, इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है। उन्हे खाना मुहैया कराए जाने के साथ-साथ क्वारंटाइन सेंटर में रखकर उनके उपचार के साथ सभी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रति व्यक्ति हजारों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन घर लौटने वाले प्रवासियों की देखभाल प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ठीक से नहीं करने की बात सुंदरगढ़ जिले के सबडेगा प्रखंड के यमुना पंचायत के यमुना गांव की एक घटना दर्शाती है। उक्त गांव को गोवा से लौटे एक अस्वस्थ प्रवासी मजदूर की इलाज कमी व भूख के कारण मौत होने की शिकायत सामने आई है। वहीं मृत मजदूर की कोरोना जांच किए बगैर ही प्रशासन द्वारा आनन-फानन में उसके शव का दाह संस्कार कर दिया गया है।
यमुना व मायाबहाल गांव के दो युवक 6 माह पहले रोजगार के लिए गोवा गए थे। लेकिन महामारी कोरोना के चलते तालाबंदी के कारण वहां उनका काम धंधा बंद हो गया था। वाहनों की आवाजाही भी बंद होने के कारण वे लोग अभाव व असुविधा में किसी तरह वहां दिन गुजार रहे थे। लॉकडाउन में छूट मिलने पर वे ट्रेन के जरिए गोवा से गुरुवार को झारसुगुड़ा पहुंचे थे। जहां से वे बस से सुबह 9 बजे सुंदरगढ़ पहुंचे। इस दौरान एक युवक अस्वस्थ हो गया था। हाथ में पैसा नहीं होने तथा ट्रेन में भोजन पानी नहीं मिलने के कारण वे दो दिनों से भूखे आ रहे थे। बस स्टैंड से घर ले जाने के लिए आए प्रवासी मजदूर का भतीजा उन्हें तुरंत जिला अस्पताल ले गया था। लेकिन बीमार मजदूर के गोवा से लौटने की जानकारी होने पर अस्पताल ने न तो उसका इलाज किया और न ही उसके स्वास्थ्य की जांच की। वहां से उसे सीधे अपने पंचायत के क्वारंटाइन सेंटर ले जाने को कहा था। इसके बाद बीमार मजदूर को उसका भतीजा ऑटो से सबडेगा प्रखंड के मायाबहाल सरकारी उच्च विद्यालय स्थित क्वारंटाइन केंद्र ले गया। यहां केंद्र के प्रभार में रहने वाले कर्मचारियों ने प्रवासी मजदूर का पंजीकरण कर उसे तुरंत सबडेगा सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाने की सलाह दी। मजदूर को सीएचसी ले जाया गया जहां इलाज के दौरान दोपहर तीन बजे उसकी मौत हो गई। यहां से शव को तुरंत श्मशान ले जाया गया। जहां पर प्रखंड, ग्राम पंचायत व स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की उपस्थिति में दाह संस्कार कर दिया गया। परिवार वालों ने शव का दाह संस्कार करने नहीं दिए जाने की शिकायत की है। किस परिस्थिति में प्रशासन ने गोवा से लौटने वाले मजदूर के शव का दाह संस्कार करने का निर्णय लिया, यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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कोटा
मृतक की गोवा में जांच की गई थी। उसे कोरोना से संक्रमित नहीं पाया गया। पर उसे ज्वांडिस था। इसके बावजूद उसने रेल से यात्रा की। रास्ते में उसे खाना पीना मिला या नहीं, इसपर मैं कुछ कह नहीं सकता। पर दो दिन बिना इलाज के रहने के कारण उसकी स्थिति गंभीर हो गई थी। संभवत: यही उसकी मौत का कारण बना। जिला मुख्य चिकित्सालय में उसे भर्ती न कर मायाबहाल क्वारंटाइन केंद्र भेजने की जानकारी नहीं है। मृतक क्योंकि गोवा से आया था, तो ग्रामीणों में कोविड-19 की आशंका दिखाई देना स्वाभाविक था। गांव में आतंक न फैले, इसलिए शव का तत्काल अंतिम संस्कार किया गया। यह प्रशासन का निर्णय था।
डॉ. सरोज कुमार मिश्र, मुख्य जिला चिकित्सा एवं जनस्वास्थ्य अधिकारी