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आइआइपीएम के अध्यक्ष पद से विधायक मंगला किसान का इस्तीफा

आइआइपीएम, कांसबहाल में चल रहे छात्र आंदोलन के बीच सुंदरगढ़ जिलाप

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 11:45 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 11:45 PM (IST)
आइआइपीएम के अध्यक्ष पद से विधायक मंगला किसान का इस्तीफा
आइआइपीएम के अध्यक्ष पद से विधायक मंगला किसान का इस्तीफा

संवाद सूत्र, सुंदरगढ़ :

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आइआइपीएम, कांसबहाल में चल रहे छात्र आंदोलन के बीच सुंदरगढ़ जिलापाल की रिपोर्ट में मंगला किसान के इस्तीफे के जिक्र ने पूरे प्रकरण को फिर से गर्म कर दिया है। संस्थान के छात्र निदेशक निरंजन नायक तथा जनसंपर्क अधिकारी जीतू दास को हटाने की मांग पर 26 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। जिलापाल के रिपोर्ट में गत 22 सितंबर को ही आइआइपीएम के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पद से विधायक मंगला किसान के इस्तीफा देने की बात सामने आयी है। 22 सितंबर को जिलापाल ने उच्च शिक्षा विभाग को यह रिपोर्ट भेजी है जिसमें छात्रों के आरोपों की पुष्टि की गई है।

रिपोर्ट में मंगला किसान द्वारा निरंजन नायक को दोबारा निदेशक बनाने तथा निरंजन नायक द्वारा निदेशक पद पर कब्जा करने के बाद सुदीप्त कुमार जेना को आइआइपीएम के ¨प्रसिपल पद से हटाकर अपने चहेते डॉ.जानकी वल्लभ पटनायक को दोबारा संस्थान में ¨प्रसिपल बनाने, मंगला किसान के निर्देश के बाद(जिसके लिए वे अधिकृत नहीं हैं) आइआइपीएम-सोम तथा आइआइपीएम-सेट के बैंक खातों का प्रबंधन करने, रुक्मणी वल्लभ पृष्टि (सीए) की जगह अपने एक और चहेते मोहन कुमार साहू को बैंक खातों के प्रबंधन के लिए अधिकृत करना जो आइआइपीएम के अधिकार में नहीं है। इसके समेत जानकी वल्लभ पटनायक तथा मोहन कुमार साहू से मिलकर निलंबित समय अप्रैल, मई,जून, जुलाई 2018 की तनख्वाह के बावजूद लाखों की रकम अपने नाम करना, सदस्या स्वाति वर्मा को निलंबित करना, डॉ.कीर्तिरंजन स्वाई को संस्थान में प्रवेश में रोक लगाना,दो अन्य सदस्य सुभास्मिता मल्लिक तथा सिद्धार्थ कानूनगो को क्लास लेने से रोकना, उनके स्थान पर दो अन्य उमेशचंद्र पुजारी तथा राजेश सैन को नियुक्त करना, जीतू दास को जनसंपर्क अधिकारी बनाना जिसका कोई प्रावधान ही नहीं है तथा उसे 35 हजार रुपये तनख्वाह के रूप में देना जैसे संगीन आरोप शामिल है। उससे भी हैरत की बात यह है कि मंगला किसान द्वारा 22 सितंबर को अपना इस्तीफा उच्च शिक्षा विभाग सहित जिलापाल को देने के बावजूद इस्तीफे की बात छिपाना तथा संस्थान के कई गैर जरुरी निर्णयों में शामिल रहना, संस्थान के बजाय राजगांगपुर स्थित सरबती देवी महिला कॉलेज में 26 तारीख से परीक्षा केंद्र बदलना तथा 28 तारीख से संस्थान में साइन-डाई की घोषणा करने जैसी बातों का उल्लेख है। एक अक्टूबर को जिलापाल को खत लिखकर उनकी मांगों की पूरी न करने से तीन अक्टूबर को एक बार फिर से सड़क पर उतरने की चेतावनी आंदोलनरत छात्रों ने दी थी। जिससे जिला प्रशासन ने इस बाबत लिए गए कदमों के बारे में बताकर आंदोलन स्थगित रखने का अनुरोध किया था। छात्रों ने सड़क पर उतरने का निर्णय तो वापस ले लिया। लेकिन निदेशक निरंजन नायक व पीआरओ जीतू दास को न हटाने का आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है। अब उच्च शिक्षा विभाग के पाले में है तथा सभी की नजर उसके फैसले पर है।


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