मंदिरा डैम के विस्थापितों ने भरी हुंकार
कुतरा ब्लाक के अंतर्गत विभिन्न गांवों में मंदिरा डैम के निर्माण्
जागरण संवाददाता, राजगांगपुर : कुतरा ब्लाक के अंतर्गत विभिन्न गांवों में मंदिरा डैम के निर्माण के समय विस्थापित हुए ग्रामीणों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है। जिसमें यहां पर 1958-59 में विस्थापन के बाद भी अब तक नौकरी या मुआवजा न मिलने का आरोपी ग्रामीणों ने लगाया है। इसके प्रतिवाद में स्थानीय ग्रामीणों ने ग्राम सभा के माध्यम से जल, जंगल व जमीन पर अधिकार के लिए लगातार संघर्ष की चेतावनी दी है।
इसके तहत कुतरा स्थित पतरापाड़ा मैदान में पेसा ग्राम सभा की ओर से विशाल रैली निकाली गई। इस रैली में तरकेरा,साधुमुंडा,उदूरमा,समलाईमुंडा गांव के लोग शामिल रहे। यहां के ग्रामीणों का आरोप है कि राउरकेला स्टील प्लांट के निर्माण के दौरान वर्ष 1957-59 में मंदिरा डैम का निर्माण किया गया था। जिससे हमारी रैयती जमीन भी डैम की जद में आई है। लेकिन न तो अब तक इसका मुआवजा मिला है और न ही परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी गई है। इसके समेत डैम का पानी ओवरफ्लो होने से पानी के साथ बालू भी खेत में आ जाने से बची-खुची खेती भी बरबाद हो रही है। इसे लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन, आरएसपी प्रबंधन तथा राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित कराने के बाद भी इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इस रैली के बाद कुतरा तहसीलदार की मार्फत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई गई है।