खत्म होने की कगार पर सारंडा जंगल
देश के घने जंगलों के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला ओडिशा-झारखंड
संवाद सूत्र, बंडामुंडा: देश के घने जंगलों के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला ओडिशा-झारखंड सीमांचल पर स्थित सारंडा जंगल अपनी पहचान खोता जा रहा है। लकड़ी माफिया द्वारा यहां पेड़ों की अवैध कटाई के कारण अब इस जंगल में पेड़ों के स्थान पर केवल ठूंठ ही नजर आ रहे हैं। समय रहते अगर इसकी रोकथाम न हुई तो आने वाले दिनों में इस जंगल का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा और तब रेगिस्तान के सिवाय कुछ नजर नहीं आयेगा।
कभी इस जंगल में बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे। इस घने जंगल में विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का जमावड़ा लगा रहता था। लेकिन लकड़ी माफिया की बुरी नजर इस जंगल पर पड़ने के बाद यहां धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई होने से इस जंगल की शोभा खत्म होती जा रही है। खासकर बिसरा ब्लाक के रामलोई, झारबेड़ा, तुलसीकानी समेत पड़ोसी झारखंड राज्य के रेढ़ा, समठा, सागजोड़ी आदि स्थान तक फैले सारंडा जंगल में पेड़ों की कटाई अधिक हो रही है। हालांकि इस दिशा में वन विभाग की ओर से कोई प्रभावी पहल अब तक न होने से अंचल के लोगों में रोष है।
वन विभाग गंभीर
सारंडा जंगल में लकड़ियों की अवैध कटाई रोकने के लिए विभाग गंभीर है। इसकी रोकथाम करने के लिये गश्त भी तेज की गई है। अवैध कटाई से जुड़े लकड़ी माफिया पर जल्द ही कार्रवाई होगी।
- जोगेंद्रनाथ प्रधान, रेंजर, बिसरा फोरेस्ट रेंज।