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नाम मात्र है ईएसआइ अस्पताल, दैनिक रोगी पर खर्च हो रहे 25 हजार

मजदूरों को उत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लक्ष्य को लेकर शिल्पनगरी राउरकेला में ईएसआइ मॉडल अस्पताल की स्थापना की गई थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:08 PM (IST)
नाम मात्र है ईएसआइ अस्पताल, दैनिक रोगी पर खर्च हो रहे  25 हजार
नाम मात्र है ईएसआइ अस्पताल, दैनिक रोगी पर खर्च हो रहे 25 हजार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : मजदूरों को उत्तम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लक्ष्य को लेकर शिल्पनगरी राउरकेला में ईएसआइ मॉडल अस्पताल की स्थापना की गई थी। पश्चिम ओडिशा के सुंदरगढ़, झाड़सुगुड़ा, बरगढ़ व संबलपुर आदि जिलों के लगभग दो लाख से अधिक बीमा भुक्त मजदूरों इस अस्पताल पर आश्रित है। लेकिन 50 बेड वाले इस अस्पताल में इलाज नाम मात्र ही हो पा रहा है। 17 साल पुराने इस अस्पताल में न तो संस्थागत व्यवस्था है ना ही आवश्यक संख्या में डॉक्टर व कर्मचारी। बीमा भुक्त कर्मचारी ईएसआई के बाबत मासिक करोड़ों रुपये जमा कर रहे हैं। कितु उन्हें इसका फल नहीं मिल रहा है। दैनिक रोगियों पर 25.255 खर्च होने की बात अस्पताल प्रबंधन की ओर से कही जा रही है। लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह से उल्टा है। किसी तरह की सुविधा नहीं रहने के कारण बीमा भुक्त कर्मचारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाने को तैयार नहीं है। अस्पताल के विभागीय अधिकारियों की दायित्व हीनता तथा केंद्र व राज्य सरकार के बीच समन्वय के अभाव ने अस्पताल को केवल रेफरल अस्पताल तक ही सीमित रह गया है। अधिकांश रोगी अस्पताल के साथ अनुबंधित निजी अस्पतालों को भेज दिए जा रहे हैं। इसके लिए ईएसआइ मॉडल अस्पताल की ओर से करोड़ों रुपये खर्च किया जाता है ।

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रेफर के बावत 6 माह में खर्च किए 1.83 करोड़ : एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच 6 माह के दौरान केवल रेफर के बाबत 1. 83 करोड़ रुपये खर्च किया गए है। रेफर के लिए राउरकेला के पांच निजी अस्पताल व कटक तथा भुवनेश्वर के 24 निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया गया है। अस्पताल से मिली सूचना के मुताबिक इस साल एक अप्रैल से तीस सितंबर के बीच 6 माह के भीतर केवल रेफरल के बावत 1 करोड़ 83 लाख 91 हजार 431 रुपये खर्च हुए है। जबकि महामारी कोविड के रोगियों को पूरी तरह से अनदेखी कर दी गई है। 25 मार्च से 31 के बीच अस्पताल में दाखिल होकर इलाज कराने वाले रोगियों की संख्या काफी कम है। मार्च में 10, अप्रैल में 44, मई में 79, जून में 93, जुलाई में 62, अगस्त 96 रोगी इलाज के लिए भर्ती हुए थे। यानी दैनिक दो रोगी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे।

आउटडोर में 17,331 मरीज ने कराया इलाज : हालांकि इसी समय के दौरान आउटडोर में 17, 331 ने अपना इलाज कराया था। जबकि 642 रोगियों को रेफर किया गया था। आउटडोर में मार्च माह में 162, अप्रैल में 900, मई में 3,361, जून में 4,901, जुलाई में 3,891 व अगस्त माह में 4,278 रोगियों का अस्पताल की ओर से आउटडोर में इलाज किया गया था। सबसे आश्चर्य की बात दैनिक प्रति रोगी 25,255 रुपये होने की बात प्रबंधन की ओर से कही गई है। हालांकि यह राशि किस-किस बावत खर्च हो रही है उसका तथ्य किसी के पास नहीं है। इसकी विधिवत जांच करने की जरूरत है। उधर, 50 बेड की तुलना में आवश्यक संख्या में डॉक्टर, नर्स व कर्मचारी नहीं है। पश्चिम ओडिशा के मजदूरों का एक मात्र भरोसा वाले इस अस्पताल के विकास के प्रति सभी ने आंखें मूंद ली है। मजदूर संगठनों का कहना है कि यही स्थिति के कारण 60 प्रतिशत मजदूर अपना इलाज कराने ईएसआइ अस्पताल नहीं जा रहे है।


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