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न केवल नाम, बल्कि इतिहास, कला, संस्कृति से भी सुंदर है सुंदरगढ़ : तरई

सुंदरगढ़ जिला न केवल खान-खनिज तथा उद्योग से बल्कि अपनी कला संस्कृति परंपरा व इतिहास से भी समृद्ध है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 11:57 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:14 AM (IST)
न केवल नाम, बल्कि इतिहास, कला, संस्कृति से भी सुंदर है सुंदरगढ़ : तरई
न केवल नाम, बल्कि इतिहास, कला, संस्कृति से भी सुंदर है सुंदरगढ़ : तरई

संवाद सूत्र, सुंदरगढ़ : सुंदरगढ़ जिला न केवल खान-खनिज तथा उद्योग से, बल्कि अपनी कला, संस्कृति, परंपरा व इतिहास से भी समृद्ध है। इसके समृद्ध इतिहास की साक्षी हैं वह किवदंतियां, जो बताती हैं कि महर्षि व्यास ने वेदव्यास में महाभारत की रचना की। यह पवित्र भूमि ब्राह्मणी, कोयल व सरस्वती नदियों का संगमस्थल है। हिमगिर के जूनागढ़ में पांडवों के वनवास की कथाएं प्राचीन शिलालेखों में मौजूद हैं। सुंदरगढ़ जिला महोत्सव 'जतरा' के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि रघुनाथपाली के विधायक सुब्रत तराई ने ये बातें कहीं।

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उन्होंने कहा कि सुंदरगढ़ जिला भारत का गौरव है, जिसने देश को सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दिए। उन्होंने जिले के हर प्रखंड में हॉकी खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए एस्ट्रो टर्फ निर्माण की जानकारी देते हुए उम्मीद जतायी कि यह महोत्सव जिला की कला संस्कृति की सुन्दर झांकी प्रस्तुत करेगा।

सम्मानित अतिथि सुंदरगढ़ विधायक कुसुम टेटे व तल्सरा विधायक भवानी शंकर भोई ने भी जिले की जनजातीय कला संस्कृति पर अपने विचार रखे । सभा अध्यक्ष जिलाधीश निखिल पवन कल्याण ने महोत्सव में कला संस्कृति प्रदर्शन के साथ पल्लीश्री मेला, पुस्तक प्रदर्शनी, स्वयं सहायक समूहों द्वारा प्रस्तुत खानपान व घरेलू वस्तुओं का भी आनंद लेने का अनुरोध किया। अन्य वक्ताओं में अतिरिक्त जिलाधीश नृसिंह चरण स्वाई, उपजिलाधीश अभिमन्यु बेहरा, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक भैरो सिंह पटेल ने भी जतरा मेले पर प्रकाश डाला। जिला संस्कृति अधिकारी अनिल केरकेटटा ने धन्यवाद दिया। डॉ. अनंत आचार्य ने सभा संचालन किया इससे पुर्व छात्राओं ने स्वागत गीत गाया।

सुंदरगढ़ जिला प्रशासन, ओरमास व जिला संस्कृति परिषद की ओर से आयोजित जतरा महोत्सव का आगाज सोमवार की सुबह स्थानीय समलेश्वरी मंदिर से सांस्कृतिक शोभायात्रा के साथ हुआ। इसमें उपजिलाधीश, जिला संस्कृति अधिकारी समेत स्थानीय कलाकार व आम लोग शामिल हुए। बाद में महोत्सव स्थल भवानी भवन मैदान में मशाल की स्थापना के साथ सांस्कृतिक शोभायात्रा का समापन किया गया।

सभा के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर शुरू हुआ। नृत्य मधुरं राउरकेला के ओडिशी नृत्य, राजस्थान के कालबलिया नृत्य पर दर्शक विभोर हो गए। सोनपुर के कलाजीवी द्वारा चुटकुचुटा नृत्य प्रस्तुत किया गया, जबकि कोरापुट जिला परिषद संस्कृति ढेमसा, सोनपुर डालखाई फाउंडेशन की पंचरसी नृत्य ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। सुंदरगढ़ सियांबहाल के आदिवासी नृत्य के दौरान उसी गांव की निवासी विधायक कुसुम टेटे स्वंय को रोक न पाई, और मंच पर नृत्य दल के साथ उन्होंने भी कलाकारों के साथ ठुमके लगाए। कार्यक्रम का संचालन श्रीपदा मधुस्मिता षाड़ंगी षडंगी व अंजन प्रधान ने किया।

महोत्सव में बालुका शिल्प, चित्रकला प्रदर्शनी, पुस्तक मेला लोगों के आकर्षण का केंद्र है। पल्लीश्री मेला जिले व राज्य के विकास की झांकी प्रस्तुत कर रहा है। दूसरी ओर 230 स्टालों पर हस्तशिल्प, हस्तकला, हथकरघा सामाग्रियों के साथ साथ खान-पान की वस्तुएं, उद्यान व कृषि के साथ शिक्षा व व्यवसाय से जुड़े संस्थान भी लोगों को लुभा रहे हैं। यह महोत्सव 31 जनवरी तक चलेगा।


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