बेटी को देना पड़ा पिता की अर्थी को कंधा, श्मशान में भी नहीं मिली जगह
सुंदरगढ़ जिले के बड़गांव ब्लॉक के चलनामुंडा गांव में मानवता को शर्मसार करने की घटना सामाने आई है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के बड़गांव ब्लॉक के चलनामुंडा गांव में मानवता को शर्मसार करने की घटना सामाने आई है। दो बेटियों की शादी के बाद वृद्ध गांव में अकेला रहता था एवं उसकी अचानक गुरुवार को मौत हो गई। कोरोना संक्रमण के डर से कोई भी परिजन वहां अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए। स्थानीय सरपंच की कोशिश के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए एक ग्रामीण तैयार हुआ। जबकि पूर्व सरपंच व मृतक के दामाद को मिलकर कुल तीन लोग ही अर्थी को कंधा देने के लिए जुट पाए थे। ऐसे में चौथा कंधा छोटी बेटी सत्यवती को देना पड़ा। यहां तक की गांव के श्मशान में मृतक के शरीर को जगह नहीं मिलने के कारण दूर पहाड़ी के पास पार्थिव शरीर को दफनाया गया।
चलनामुंडा स्कूल के पास खड़ियापाड़ा
निवासी 65 वर्षीय शिव पोड़ की दो बेटियां थी। एक की शादी हुई है तथा जबकि छोटी बेटी सत्यवती पति के द्वारा त्याग देने के बाद 15 साल से पिता के साथ ही रहती थी। गर्मी अधिक होने कारण बुधवार को शिव की मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलने के बाद कोरोना के डर से न तो गांव के लोग और न ही परिजन वहां आए। अंतिम संस्कार के लिए किसी के नहीं आने पर सरपंच सुशीला दंडसेना व पूर्व सरपंच बसंत दंडसेना से गुहार लगाई। वे चलनामुंडा गांव पहुंचकर लोगों को अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए समझाया। एक व्यक्ति तैयार हुआ। पूर्व सरपंच बसंत दंडसेना, बेटी सत्यवती दंडसेना एवं जीजा शुभू महानंद ने अर्थी को कंधा दिया। गांव के श्मशान में भी दफनाने की जगह नहीं मिलने के कारण सरपंच के प्रयास से गांव के पास एक पहाड़ी की तलहटी पर उसे दफनाया गया। अंतिम संस्कार में सरपंच और पूर्व सरपंच दोनों शामिल हुए। उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए सरकार के हरिश्चंद्र योजना से बेटी सत्यवती को दो हजार रुपये भी दिए। सरपंच सुशील दंडसेना ने बताया कि गांव में पुराने श्मशान की जगह को लेकर विवाद था। वह जमीन किसी और की थी एवं उसने अपने कब्जे में लेकर जमीन दूसरे को बेच दी है। इसके बाद गांव वालों के लिए नई जगह की तलाश हो रही थी। शिव पोड़ को गांव से दूर पहाड़ी के नीचे दफना कर उस जगह में अंतिम संस्कार की शुरुआत की गयी।