Move to Jagran APP

बेटी को देना पड़ा पिता की अर्थी को कंधा, श्मशान में भी नहीं मिली जगह

सुंदरगढ़ जिले के बड़गांव ब्लॉक के चलनामुंडा गांव में मानवता को शर्मसार करने की घटना सामाने आई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 11:46 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:20 AM (IST)
बेटी को देना पड़ा पिता की अर्थी को कंधा, श्मशान में भी नहीं मिली जगह
बेटी को देना पड़ा पिता की अर्थी को कंधा, श्मशान में भी नहीं मिली जगह

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के बड़गांव ब्लॉक के चलनामुंडा गांव में मानवता को शर्मसार करने की घटना सामाने आई है। दो बेटियों की शादी के बाद वृद्ध गांव में अकेला रहता था एवं उसकी अचानक गुरुवार को मौत हो गई। कोरोना संक्रमण के डर से कोई भी परिजन वहां अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए। स्थानीय सरपंच की कोशिश के बाद अर्थी को कंधा देने के लिए एक ग्रामीण तैयार हुआ। जबकि पूर्व सरपंच व मृतक के दामाद को मिलकर कुल तीन लोग ही अर्थी को कंधा देने के लिए जुट पाए थे। ऐसे में चौथा कंधा छोटी बेटी सत्यवती को देना पड़ा। यहां तक की गांव के श्मशान में मृतक के शरीर को जगह नहीं मिलने के कारण दूर पहाड़ी के पास पार्थिव शरीर को दफनाया गया।

loksabha election banner

चलनामुंडा स्कूल के पास खड़ियापाड़ा

निवासी 65 वर्षीय शिव पोड़ की दो बेटियां थी। एक की शादी हुई है तथा जबकि छोटी बेटी सत्यवती पति के द्वारा त्याग देने के बाद 15 साल से पिता के साथ ही रहती थी। गर्मी अधिक होने कारण बुधवार को शिव की मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलने के बाद कोरोना के डर से न तो गांव के लोग और न ही परिजन वहां आए। अंतिम संस्कार के लिए किसी के नहीं आने पर सरपंच सुशीला दंडसेना व पूर्व सरपंच बसंत दंडसेना से गुहार लगाई। वे चलनामुंडा गांव पहुंचकर लोगों को अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए समझाया। एक व्यक्ति तैयार हुआ। पूर्व सरपंच बसंत दंडसेना, बेटी सत्यवती दंडसेना एवं जीजा शुभू महानंद ने अर्थी को कंधा दिया। गांव के श्मशान में भी दफनाने की जगह नहीं मिलने के कारण सरपंच के प्रयास से गांव के पास एक पहाड़ी की तलहटी पर उसे दफनाया गया। अंतिम संस्कार में सरपंच और पूर्व सरपंच दोनों शामिल हुए। उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए सरकार के हरिश्चंद्र योजना से बेटी सत्यवती को दो हजार रुपये भी दिए। सरपंच सुशील दंडसेना ने बताया कि गांव में पुराने श्मशान की जगह को लेकर विवाद था। वह जमीन किसी और की थी एवं उसने अपने कब्जे में लेकर जमीन दूसरे को बेच दी है। इसके बाद गांव वालों के लिए नई जगह की तलाश हो रही थी। शिव पोड़ को गांव से दूर पहाड़ी के नीचे दफना कर उस जगह में अंतिम संस्कार की शुरुआत की गयी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.