पहली बार शैक्षिक संस्थान के प्रक्षेपण यान को मिली मान्यता
यह संभवत: पहली बार है जब देश के किसी तकनीकी शिक्षण संस्थान के युवाओं न
संसू, संबलपुर : यह संभवत: पहली बार है जब देश के किसी तकनीकी शिक्षण संस्थान के युवाओं ने प्रक्षेपण यान का निर्माण किया और सफल प्रक्षेपण, जांच के बाद उसे मान्यता भी प्रदान की गई। बुर्ला स्थित वीर सुरेंद्र साय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के युवा वैज्ञानिकों की टीम के सामूहिक प्रयास से निर्मित वीसुट एसएलवी यानि वीर सुरेंद्र साय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उपग्रह प्रक्षेपन यान का नाम लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है। रिकार्ड में नाम दर्ज होने के बाद से टीम के सदस्यों के साथ साथ विश्वविद्यालय में उत्साह देखा जा रहा है।
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पिछले वर्ष किया गया था परीक्षण
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आइडिया एनोवेशन सेल के युवा वैज्ञानिकों ने बीते वर्ष उपग्रह प्रक्षेपण यान का निर्माण कर परीक्षण किया था। इस सफलता से वे सुíखयों में आए। उनके द्वारा निíमत उपग्रह प्रक्षेपण यान की जांच और सत्यता जानने के बाद एक विशेष टीम ने इस यान का परीक्षण किया और लिम्का बुक आफ रिकॅार्ड में इसका नाम दर्ज करने की मंजूरी दे दी। बुक आफ रिकार्ड के मुख्य संपादक विजय घोष की स्वीकृति के बाद यह स्पष्ट हो गया कि देश भर में पहले किसी शैक्षणिक संस्थान द्वारा स्वदेशी तकनीक से ऐसा उपग्रह प्रक्षेपण यान नहीं निíमत किया गया। बताया गया है कि वर्ष 2019 के लिम्का बुक संस्करण में वीसुट-एसएलवी का नाम दर्ज किया जाएगा।
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तीन बार किया जा चुका है परीक्षण
युवा वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि 22 अगस्त 2017 के दिन वीसुट एसएलवी 1.0, पहली जनवरी 2018 के दिन 2.0 और 30 मार्च 2018 के दिन 3.0 का परीक्षण किया गया था। इस कार्य में विश्वविद्यालय के डीन, छात्र कल्याण प्रो. देवदत्त मिश्र ने सहयोग किया था।