संबलपुर मंडल जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे कैदी का हाथ तोड़ा
देश की जेलों को कैदियों के लिए सुधार केंद्रों में तब्दील करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने समेत उनके रहन-सहन को बेहतर बनाने के लिए सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश के बाद सरकार प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये इसके लिए खर्च कर रही है लेकिन इसका अपेक्षित नतीजा अबतक सामने नहीं आया है।
संवाद सूत्र, संबलपुर : देश की जेलों को कैदियों के लिए सुधार केंद्रों में तब्दील करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने समेत उनके रहन-सहन को बेहतर बनाने के लिए सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश के बाद सरकार प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये इसके लिए खर्च कर रही है लेकिन इसका अपेक्षित नतीजा अबतक सामने नहीं आया है। अधिकाश जेलों में व्याप्त अव्यवस्था और मनमानी को देख इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। संबलपुर का मंडल जेल भी इससे अछूता नहीं है। यही कारण है कि कैदी को सुरक्षा देने के बजाय इस जेल के एक वार्डर ने उम्रकैद की सजा भुगत रहे अविनाश बेहरा की इतनी निर्मम पिटाई कर दी कि उसका एक हाथ टूट गया और शरीर के अन्य कई हिस्सों में गहरा जख्म लगा है। उसे इलाज के लिए बुर्ला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। इधर, इस घटना के बाद बेहरा परिवार चिंता में है। अगर इस मामले को मुद्दा बनाया गया तो शायद वापस जेल लौटने पर अविनाश के साथ और बुरा होने की आशका को लेकर परिवार चुप है लेकिन हॉस्पिटल में इलाजरत अविनाश ने इस बारे में अपना मुंह खोला है और आरोप लगाया है कि विगत सात मार्च को जेल वार्डर स्मृति रंजन प्रधान ने बेवजह उसकी पिटाई कर दाहिना हाथ तोड़ दिया। घायल कैदी के भाई अमरेश बेहरा की मानें तो अविनाश पिछले साढ़े दस वर्ष से जेल में सजा काट रहा है लेकिन अबतक उसने जेल में कभी कोई गड़बड़ी नहीं की। जबकि दूसरे कई कैदी जेल में उपद्रव करते रहें हैं।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय दलेईपाड़ा निवासी अविनाश को अपने ही रिश्ते के नाबालिग भाई की हत्या में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और वह वर्ष 2008 से संबलपुर मंडल जेल में बंद है। अविनाश अपने रिश्ते के भाई को दीवाली की रात एक पिस्तौल दिखा रहा था और इसी दौरान गोली चल जाने से नाबालिग की मौत हो गयी थी।