बारिश के मौसम में भी नहीं लौट रही महानदी की रौनक
हीराकुद बांध के जलभंडार और महानदी में अबतक पर्याप्त जल के अभाव को देख किसानों की परेशानी पर बल नजर आ रहे हैं।
संबलपुर, जेएनएन। जल को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच उपजे विवाद के बाद ओडिशा की जीवनधारा कहे जाने वाली महानदी की हालत दयनीय होती जा रही है। आलम यह है कि एक माह पूर्व ओडिशा में मानसून के सक्रिय होने और विश्वप्रसिद्ध हीराकुद बांध के ऊपरी और निचले मुहानों पर बारिश के बावजूद महानदी में जल का अभाव देखा जा रहा है। जबकि गर्मी के मौसम में महानदी के जल को विभिन्न बांध-बैराजों से रोके रखने के बाद शनिवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने कलमा बैराज से बाढ़ का पानी महानदी में छोड़ा है।
बाढ़ का यह पानी हीराकुद जलभंडार में पहुंचने के पश्चात जलभंडार की स्थिति में सुधार संभव है लेकिन हीराकुद बांध के निचले मुहाने पर अब भी महानदी में जल की स्थिति दयनीय है। जबकि चालू वर्ष के मई माह में संबलपुर जिला में 105.42 मिमी और जून में 173.76 मिमी बारिश हुई। लेकिन इससे महानदी के जलस्तर पर खास असर नही पड़ा। संबलपुर और इसके ऊपरी मुहानों पर पिछले करीब एक सप्ताह से नही के बराबर बारिश हुई है। वहीं शनिवार को हीराकुद बांध के जलभंडार में प्रति सेकेंड करीब 3906 घनफीट बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा था जो समंदर सदृश्य जल भंडार के लिए सागर में गागर साबित हो रहा था।
हीराकुद बांध के जलभंडार और महानदी में अबतक पर्याप्त जल के अभाव को देख किसानों की परेशानी पर बल नजर आ रहे हैं। वैसे भी ओडिशा सरकार की नई जल नीति के तहत किसानों के बजाय जिला के विभिन्न संयंत्रों को अधिक जलापूर्ति की जाती है। महानदी में पानी की कमी की वजह से इस पर निर्भर विभिन्न जिलों में जलापूर्ति भी प्रभावित हो रही है। महानदी को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की दादागिरी के बाद ओडिशा सरकार को अब जाकर होश आया है। अगले कुछ वर्षों के दौरान महानदी पर बांध-बैराज निर्माण कराए जाने का निर्णय लिया गया है। संबलपुर में निर्माणाधीन महानदी द्वितीय पुल के निकट एक और एनिकट निर्माण की योजना है। इस एनिकट के निर्माण से महानदी के प्रवाहित जल को रोका जा सकेगा।