खंडपीठ की मांग को लेकर संबलपुर में 48 घंटे का महाबंद
संबलपुर जिला वकील संघ और पश्चिम ओडिशा वकील संघ समूह केंद्रीय क्रियानुष्ठान कमेटी की खंडपीठ की मांग को लेकर दुकान- बाजार, स्कूल-कॉलेज व दफ्तरों में लटके रहे ताले।
संबलपुर, जेएनएन। करीब तीन महीने से लगातार कामबंद आंदोलन और दस दिन के क्रमिक अनशन के बाद संबलपुर जिला वकील संघ और पश्चिम ओडिशा वकील संघ समूह केंद्रीय क्रियानुष्ठान कमेटी ने हाईकोर्ट की स्थाई खंडपीठ की मांग को लेकर अपना आंदोलन और तेज करते हुए गुरुवार को 48 घंटे का महाबंद शुरू कर दिया।
संबलपुर के इतिहास में यह पहला मौका है जब इतनी अवधि के लिए दुकान-बाजार, स्कूल-कॉलेज और सरकारी गैरसरकारी दफ्तर बंद रहेंगे और इस दौरान ट्रेन और वाहनों का यातायात भी ठप रहेगा। महाबंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ा है। ट्रेनों के संबलपुर से नहीं छूटने और यहां नहीं पहुंचने से सैकड़ों यात्री जहां तहां फंस गए। इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
वहीं, राजनीतिक मतभेद भूल कर विभिन्न दलों के समर्थक वकीलों ने एकजुट होकर महाबंद को सफल बनाने और सरकार को जवाब देने के मूड में दिखे। बंद के मुकाबले वकीलों के इस महाबंद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार की रात दुकान बाजारों में खरीदारी के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी। खासकर खाने पीने के सामान खूब बिके। लोग दो दिनों के इस महाबंद को देखते हुए आवश्यक सामान खरीदकर जमा कर लिया।
गुरुवार की सुबह से ही वकील संघ के कार्यकर्ता और स्थाई खंडपीठ के समर्थक रेल स्टेशनों एवं विभिन्न राजमार्गो में पहुंचकर यातायात ठप करा दिया। महाबंद का असर आम लोगों पर भी पड़ा। संबलपुर शहर और इसके आसपास के इलाकों में लोगों की आवाजाही भी काफी कम दिखी। वहीं वकील संघ के कार्यकर्ता सड़कों पर बाइक में चक्कर लगाते दिखे। वकील संघ के अध्यक्ष विजितेंद्रीय प्रधान के अनुसार, स्थाई खंडपीठ स्थापित करने की मांग पर ओडिशा और केंद्र सरकार खेल खेल रही है।
चार दशक से अधिक पुरानी इस मांग को कभी गंभीरता से नहीं लिया। और तो और इस बार के कामबंद आंदोलन और क्रमिक अनशन पर भी सरकार की चुप्पी को देखते हुए महाबंद करने पर मजबूर होना पड़ा। इस महाबंद के बाद भी अगर सरकार का रवैया नहीं बदला तो आगामी दिनों में इस आंदोलन को अधिक तेज किया जाएगा।
केंद्रीय क्रियानुष्ठान कमेटी के प्रदीप बहिदार ने भी सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि सरकार वकीलों के धैर्य की परीक्षा नहीं ले तो बेहतर। खंडपीठ की मांग वर्तमान समय की जरूरत है और इसे हर हाल में हासिल किया जाएगा। उधर, भाजपा, कांग्रेस, बीजद भाकपा, सपा, बसपा के नेताओं, विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों ने भी खंडपीठ की मांग का समर्थन कर इस महाबंद में शामिल है।