Move to Jagran APP

झारसुगुड़ा हवाई अड्डे से जुड़ा है द्वितीय विश्वयुद्ध व भारत-पाक युद्ध का इतिहास

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लड़ाकू विमान झारसुगुड़ा एयरपोर्ट पर आते जाते रहते थे। देश का आजादी के बाद यह हवाईअड्डा सुनसान हो गया।

By Edited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 07:15 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 11:32 AM (IST)
झारसुगुड़ा हवाई अड्डे से जुड़ा है द्वितीय विश्वयुद्ध व भारत-पाक युद्ध का इतिहास
झारसुगुड़ा हवाई अड्डे से जुड़ा है द्वितीय विश्वयुद्ध व भारत-पाक युद्ध का इतिहास

संवाद सूत्र, संबलपुर। करीब साढ़े चार दशक तक सरकारी उपेक्षा का शिकार रहने के बाद झारसुगुड़ा हवाई अड्डे को नया जीवन मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इस हवाई अड्डे का नया रूप में उद्घाटन किया है। इसे ओडिशा सरकार अंचल के महान माटीपुत्र वीर सुरेंद्र साय के नाम पर नामित करने का निर्णय लिया गया है। इस खुशी के माहौल में कांग्रेस के पूर्व सांसद व केबिनेट मंत्री स्व. श्रीवल्लभ पाणिग्राही के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। वर्ष 1984 में जब श्रीवल्लभ देवगढ़ से सांसद चुने गए थे तभी में उन्होंने इस उपेक्षित हवाई अडडे को नया जीवन देने के प्रयास में जुट गए थे।

loksabha election banner

झारसुगुड़ा का यह हवाईअडडा का इतिहास सात दशक पुराना है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार की नजर झारसुगुड़ा के भौगोलिक स्थिति पर पड़ी और तब ब्रिटिश सरकार की रायल एयरपोर्ट अर्थारिटी ने झारसुगुड़ा ने झारसुगुड़ा यह हवाईअड्डा निर्माण किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान लड़ाकू विमान झारसुगुड़ा एयरपोर्ट पर आते जाते रहते थे। देश का आजादी के बाद यह हवाईअड्डा सुनसान हो गया। वर्ष 1972 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ तब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान इस हवाई अड्डे पर आते जाते थे। युद्ध खत्म होने के वर्षों बाद यह फिर से सुनसान हो गया।

वर्ष 1984 में जब श्रीवल्लभ पाणिग्राही देवगढ़ के सांसद बने तब उन्होंने तत्कालिन केंद्रीय नागर विमानन मंत्री माधवराव सिंधिया से अपने चुनाव क्षेत्र अंतर्गत झारसुगुड़ा के हवाईअड्डे पर उनका ध्यानाकर्षित करने समेत हवाईअड्डे को फिर से शुरू करने का अनुरोध भी किया था। झारसुगुड़ा के वरिष्ठ नागरिक ब्रजेश शर्मा, रविंद्र प्रताप सिंह, ओपी सिंह, आलोक कुमार पंडा, पाणुचंद्र सेठी की मानें तो पूर्व सांसद श्रीवल्लभ लोकसभा और इसके बाहर भी झारसुगुड़ा हवाईअड्डे को फिर से शुरू करने की मांग करते थे। श्रीवल्लभ की मांग को तत्कालिन नगर विमानन मंत्री सिंधिया ने ग्रहण कर लिया था। इसी के बाद झारसुगुड़ा हवाईअड्डे के भारत के वायुदूत विमान सेवा से जोड़ने की योजना भी बनाई गई थी जो ठंडे बस्ते में बंद होकर वर्षों पड़ी रही। अब, ऐसे में दीर्घ वर्षों बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा झारसुगुड़ा हवाईअड्डे को नए रूप के उद्घाटन से पश्चिम ओडिशावासियों में खुशी फैल गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.