सोलहवीं सदी के समलेश्वरी मंदिर में दरार
सोलहवीं सदी में राजा बलराम देव व राजा छत्रसाय देव द्वारा निर्मित एवं पुननि
संवाद सूत्र, संबलपुर : सोलहवीं सदी में राजा बलराम देव व राजा छत्रसाय देव द्वारा निर्मित एवं पुनर्निर्मित कराए गए यहां की आराध्य देवी मां समलेश्वरी मंदिर को खतरा पैदा होने लगा है। चूहों द्वारा खोदे गए गड्ढों की मरम्मत होने के बाद अब इस मंदिर की दीवारों में दरार नजर आने लगा है। पश्चिम ओडिशावासियों के आस्था, विश्वास के इस महान शक्ति पीठ की सुरक्षा के लिए दशहरा पूजा के बाद पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर के दरारों की मरम्मत कराने का निर्णय लिया गया है।
मां श्री समलेश्वरी मंदिर ट्रस्ट बोर्ड की ओर से बताया गया है कि चार सौ वर्ष पुराने मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की खातिर चूहों ने मंदिर को नीचे से खोखला कर दिया था। इसका पता चलने के बाद इसी वर्ष मंदिर को 15 दिन तक भक्तों के दर्शनार्थ बंद कर गड्ढों की मरम्मत कराई गई थी। इसके बाद अब मंदिर की दीवारों में दरार पड़ने की जानकारी हुई है। मंदिर के सौदर्यीकरण के लिए दीवारों पर प्लास्टिक पेंट व संगमरमर लगाया गया था। जिसकी वजह से दरारों का पता नहीं चल रहा था, लेकिन अब इसका पता चलने के बाद पुरातत्व विभाग की सलाह पर प्लास्टिक पेंट व संगमरमर हटाया जाना है। आगामी दिनों में पश्चिम ओडिशा का महान लोकपर्व नुंआखाई व इसके बाद मंदिर में नवरात्र को ध्यान में रखते हुए मरम्मत कार्य को टाल दिया गया है। दशहरा के बाद इसका काम शुरू होगा। संस्कृति विभाग की ओर से विभागीय मंत्री अशोक पंडा का ध्यानाकर्षित किए जाने के बाद उन्होंने दरारों की मरम्मत के लिये दस लाख रुपये की राशि मंजूर कर ली गई है। बताया गया है कि दीवारों से प्लास्टिक पेंट हटाने के बाद यहां चूने का प्लास्टर तथा संगमरमर के स्थान पर ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है।