सरहद पार कर विदेश तक जा पहुंची नुंआखाई : साहू
ईष्ट देवी मां समलेश्वरी का नवान्न भोग लगाने की परंपरा आज नुंआखाई सीमा सरहद को पार कर विदेश तक जा पहुंची है।
झारसुगुड़ा, जेएनएन। नुंआखाई में ईष्ट देवी मां समलेश्वरी का नवान्न भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा है। मगर आज नुंआखाई सीमा सरहद को पार कर विदेश तक जा पहुंची है। इस परंपरा व सांस्कृतिक को समझ नहीं पाने वाले लोग भी इसके प्रति आकर्षित है और इसका आयोजन कर रहे हैं।
नुंआखाई का महत्व
जब तक कृषि-संस्कृति, कृषि परंपरा बची रहेगी तबतक यह पर्व बची रहेगी। आज खेती किसानी के प्रति लोगों का लगाव खत्म हो रहा है। कारण शिल्प विकास व आधुनिकता को नीचे कृषि दब गई है। किसान आत्महत्या की घटना भी बढ़ गई है। इस भीषण स्थिति में कृषि संस्कृति व परंपरा को संश्रखण का आह्वान दे रही है। मां माटी की बात वरिष्ठ शिक्षाविद अध्यापक मोहन साहू ने स्थानीय बेहेरामाल किसान चौक गजलक्ष्मी पूजा कमेटी द्वारा आयोजित नुंआखाई भेंटघाट आयोजन में कही।
इस मौके पर सम्मानित अतिथि विशिष्ट सीने कलाकार अटल बिहारी पंडा, वरिष्ठ गीतकार, संगीतकार तथा गायक शास्वत त्रिपाठी, प्रो. टेहलू साहू, पूर्णचंद्र माफिदार, नपा के निर्वाही अधिकारी रामचंद्र प्रधान भी नुंआखाई पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मेहबुबा मेहताब, रीतिश बाबू ने किया। सभा कार्य के उपरांत सोनपुर के जी थीले जीविका, सांस्कृतिक अनुष्ठान के कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस मौके पर अटल बिहारी पंडा, शास्वत त्रिपाठी व मोहन साहू को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजन में कमेटी के प्रशांत नंद, ईश्वर राव, गुदलू मेहेर, धुलिया सेठ, वरुण त्रिपाठी, रामा महानंद आदि सभी सदस्यों ने सुचारू रूप से कर कार्यक्रम को सफल बनाया।