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पुनरुद्धार के नाम पर काटा सात तालाबों का बांध

संबलपुर जिले बामड़ा प्रखंड अंतर्गत गोविदपुर पंचायत में बगैर कोई प्लानिग के पुनरु

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 06:23 AM (IST)
पुनरुद्धार के नाम पर काटा सात तालाबों का बांध
पुनरुद्धार के नाम पर काटा सात तालाबों का बांध

संसू, बामड़ा : संबलपुर जिले बामड़ा प्रखंड अंतर्गत गोविदपुर पंचायत में बगैर कोई प्लानिग के पुनरुद्धार के नाम सात तालाब के मेढ़ काट कर पानी की निकासी कर दी गई। जबकि अब तक दो ही तालाबों के पुनरुद्धार का काम शुरू किया गया है। उधर इन सात तालाबों के पानी पर आश्रित ग्रामीणों के समक्ष पानी की समस्या ने शुरू हो गई है। पिछले कुछ वर्षो से लगभग सभी तालाबों में कीचड़, कचरा, जगला, जलशिपी से परिपूर्ण होने के कारण व्यवहार करने लायक नही थे। लेकिन गर्मी में लोगों को नहाने के लिए इन तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता है। पंचायत की ओर से इन तालाबों को पुनरुद्धार करने का निर्णय लिया गया। ग्रामसभा में अनुमोदन कर कुछ दिन पहले बहुत ही जल्दीबाजी दिखाते हुए सात तालाबों के मेढ़ को जेसीबी मशीन की सहायता से काट दिया गया। जिससे सात तालाब सुख गए। जिससे पानी का संकट बढ़ गया और लोगों को नहाने और अन्य कार्यों के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। एक दो दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है और तालाबों का कार्य पूर्ण होने को लेकर लोग आशंकित हैं। इसी बीच पंचायत द्वारा मिठुपड़ा का केउ तालाब, गोविदपुर मसानी तलाब, स्टेशन बस्ती तालाब, खोखोपड़ा तालाब, मुंढाढ़ीपा प्रधान तालाब, गोविदपुर पंचायत का सबसे पुराने राजा व रानी तालाब को मिलाकर सात तालाबों के कार्य को एकसाथ मेड काट दिया गया। दो तालाबों में मनरेगा में कार्य शुरू किया गया, लेकिन मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने से मजदूर काम करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। एक साथ सात तालाबों का कार्य शुरू को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और काम पूरा होने को लेकर आशंकित है। गोविदपुर ईओ सुजीत नायक ने भी काम संपूर्ण होने को लेकर आशंका व्यक्त की है। वहीं सरपंच मीनाक्षी माझी ने कोरोना महामारी के चलते विकास काम में रुकावट आने बात कही है। संबलपुर डीएम शुभम सक्सेना ने हाल ही में बामड़ा प्रखंड का दौरा कर मनरेगा और अन्य कार्यों की समीक्षा करने के साथ ब्लॉक प्रशासन को युद्ध स्तर पर कार्य करने का निर्देश दिया था। प्रत्येक पंचायत में रोज कम से कम 1100 मजदूरों को मनरेगा में नियोजित करने के निर्देश के बावजूद मनरेगा कार्य की मंथरता से लोग निराश है। आधे अधूरे संपन्न तालाबों में बरसात का पानी भर जाएगा तो विभाग द्वारा हेराफेरी करने को लेकर भी ग्रामीण आशंकित हैं।

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