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नृसिंहनाथ- हरिशंकर के सर्वांगीण विकास के लिए 500 करोड़ की मांग

पश्चिम ओडिशा के बरगढ़ जिला से लेकर बलांगीर जिला तक में फैले ऐतिहासिक गंधमार्दन पर्वत श्रृंखला पर बसे बरगढ़ जिला के प्रसिद्ध नृसिंहनाथ मंदिर और बलांगीर जिला के हरिशंकर मंदिर समेत आसपास के इलाकों के सर्वांगीण विकास के लिए गंधमार्दन सुरक्षा युवा परिषद की ओर से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को इसके लिए प्रस्ताव भेजने समेत पांच सौ करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 05:01 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 05:01 PM (IST)
नृसिंहनाथ- हरिशंकर के सर्वांगीण विकास के लिए 500 करोड़ की मांग
नृसिंहनाथ- हरिशंकर के सर्वांगीण विकास के लिए 500 करोड़ की मांग

संवाद सूत्र, संबलपुर : पश्चिम ओडिशा के बरगढ़ जिला से लेकर बलांगीर जिला तक में फैले ऐतिहासिक गंधमार्दन पर्वत श्रृंखला पर बसे बरगढ़ जिला के प्रसिद्ध नृसिंहनाथ मंदिर और बलांगीर जिला के हरिशंकर मंदिर समेत आसपास के इलाकों के सर्वांगीण विकास के लिए, गंधमार्दन सुरक्षा युवा परिषद की ओर से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को इसके लिए प्रस्ताव भेजने समेत पांच सौ करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की गई है। परिषद की ओर से बताया गया है कि गंधमार्दन की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और जरुरत पड़ी तो इसके लिए एक बार फिर आंदोलन किया जाएगा।

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स्थानीय होटल हरजीत रेजीडेंसी में आयोजित प्रेसवार्ता में, गंधमार्दन सुरक्षा युवा परिषद के उपदेष्टा व पूर्व सांसद भवानी शंकर होता ने बताया कि ऐतिहासिक गंधमार्दन पर्वत श्रृंखला की अपनी एक पहचान है। यह इलाका ईको टूरिज्म और अध्यात्मिक क्षेत्र के रुप में प्रसिद्ध है। पडोसी राज्यों समेत देश- विदेश से पर्यटक यहां आते हैं। हाल ही में ओडिशा सरकार ने इसके विकास के लिए दो सौ करोड़ की योजना बनाई है, जो नाकाफी है। इस इलाके की विशालता और महत्त्व को देखते हुए इसके सर्वांगीण विकास के लिए पांच सौ करोड़ रुपए की जरुरत है। उन्होंने इस बारे में विभिन्न प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और पांच सौ करोड़ रुपए के पैकेज की मांग की है।

उपदेष्टा होता ने बताया कि गंधमार्दन पर्वत के एक छोर पर बरगढ़ जिला में नृसिंहनाथ मंदिर और दूसरी छोर पर बलांगीर जिला में हरिशंकर मंदिर है। इनदोनों मंदिरों के दर्शन और गंधमार्दन पर्वत श्रृंखला की मनोरमता को देखने के लिए प्रति वर्ष पांच लाख से अधिक पर्यटक यहां आते हैं। केवल अध्यात्म ही नहीं बल्कि प्रकृति के वरदान से भरपूर इस पर्वत में सैकड़ों औषधीय गुणों वाले पेड़ पौधे भी हैं। वर्ष 1953 में, बोटैनिकल सर्वे ऑ़फ इंडिया और जम्मू- कश्मीर के विभागीय मुख्य डा. गोपीनाथ पाणिग्राही ने अनुसंधान और शोध से पता चला था कि करीब 21 किमी के दायरे में फैले गंध्मार्दन पर्वत पर 225 औषधीय वृक्ष और ढाई हजार से अधिक देसी गुल्म मौजूद हैं। ऐसे में यहां विश्वस्तरीय आयुर्वेदिक शोध केंद्र और चिकित्सालय स्थापित किए जाने की भी जरुरत है, जो मानव समाज के लिए वरदान साबित होगा। इसी के साथ स्थानीय सैकड़ों बेरोजगारों के लिए भी रोजगार का माध्यम बनेगा। भुबनेश्वर- पुरी और कोणार्क स्वर्ण त्रिभुज की तरह नृसिंहनाथ और हरिशंकर भी नए पर्यटकों को आकर्षित कर सकेगा।

इस प्रेसवार्ता में स्वामी सोमवेश समेत संबलपुर सिविल सोसाइटी के आवाहक मोहम्मद परवे•ा अली खान और सुधीर कुमार पंडा, युवा परिषद के विक्रम सराफ, नकुल मल्लिक, मोहम्मद अजीम अज्जू और वकील खान आदि उपस्थित रहे और युवा परिषद की मांगों का समर्थन करने समेत उनके संघर्ष में हमेशा साथ होने की बात कही।


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