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संबलपुर में पेंगोलिन की खाल के साथ सात गिरफ्तार

पेंगोलिन के अवैध कारोबार से जुड़े सात आरोपियों को दो किलो 600 ग्राम पेंगोलिन खाल के साथ गिरफ्तार कर रेढ़ाखोल वन विभाग ने बुधवार को न्यायिक हिरासत में जेल मामले की जांच में जुट गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 10:33 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 06:12 AM (IST)
संबलपुर में पेंगोलिन की खाल के साथ सात गिरफ्तार
संबलपुर में पेंगोलिन की खाल के साथ सात गिरफ्तार

संवाद सूत्र, संबलपुर : पेंगोलिन के अवैध कारोबार से जुड़े सात लोगों को 2.6 किग्रा पेंगोलिन खाल के साथ गिरफ्तार कर रेढ़ाखोल वन विभाग ने बुधवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने समेत इस मामले की जांच में जुट गई है। आरोपितों से अबतक की पूछताछ के दौरान उनके कारोबारी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। बताया गया है कि 21 मई को कटक जिला के आठगढ़ से जब्त जीवित पेंगोलिन भी रेढ़ाखोल से भेजा गया था। गौरतलब है कि संबलपुर जिला का रेढ़ाखोल उपसंभाग कभी तेंदूपत्ता और गांजा तस्करी को लेकर सुर्खियों में था। अब वन्यप्राणियों के शिकार और अवैध कारोबार को लेकर चर्चा में है।

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मंगलवार को रेढ़ाखोल मंडल वन अधिकारी कार्यालय में मीडिया से बातचीत में डीएफओ संग्रामकेशरी बेहरा ने बताया कि 21 मई को कटक जिला के आठगढ़ से एक जीवित पेंगोलिन के जब्त होने के बाद गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ की गई थी। उस दौरान पता चला था कि जब्त पेंगोलिन रेढ़ाखोल से भेजा गया था। इसकी सूचना मिलने के बाद से इस अवैध कारोबार से जुड़े लोगों की तलाश की जा रही थी। इसके लिए देवगढ़ अनुगुल और बामड़ा वन्यप्राणी डिवीजन की सहायता ली गई और आखिर इस मामले में संलिप्त सात आरोपियों को दो किलो 600 ग्राम पेंगोलिन खाल के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों में एक यदुमणि पात्र रेढ़ाखोल उपसंभाग के नाकटीदेऊल ब्लॉक अंतर्गत सरापाली का पूर्व सरपंच है। आरोपितों की निशानदेही पर कंचनपुर निकटस्थ टिकिरा नदी तट के रेत के नीचे छिपाकर रखी गई खाल जब्त की गई। डीएफओ बेहरा के अनुसार, गिरफ्तार पूर्व सरपंच गौड़पाड़ा गांव के यदुमणि पात्र समेत कंचनपुर गांव के सुशील सेठ, सड गांव का लक्ष्मण सेठी, श्रीराम सबर, शिरा सबर, खिजू सबर और नाकटीदेऊल का नेपाल साहू पेशेवर वन्यप्राणी व्यवसायी हैं। पहले यह सभी वन्यप्राणियों की सींग, खाल, सिर आदि का कारोबार करते थे, लेकिन अधिक रुपये कमाने की लालच में आकर इनलोगों ने अब जीवित पेंगोलिन का कारोबार शुरू कर दिया था। स्थानीय आदिवासियों की सहायता से पेंगोलिन को जीवित पकड़ा जाता था और कभी कभी मृत पेंगोलिन की खाल आदि निकालकर अन्य प्रदेशों में भेजा जाता था, जहां से उसे विदेश भेजा जाता था। इस कारोबार के लिए सोशल मीडिया का व्यवहार करने समेत कोडवर्ड में सूचना का आदान प्रदान किया जाता था। डीएफओ की मानें तो आठगढ़ से जब्त जीवित पेंगोलिन कटक के रास्ते आंध्रप्रदेश भेजा जाना था और इसके लिए 5 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था और पेशगी के रूप में 40 हजार रुपये भी मिल चुके थे। किसी तरह इसकी सूचना आठगढ़ वन मंडल के अधिकारियों को लगी और जीवित पेंगोलिन को जब्त करने समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।


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