प्रसूति महिलाओं के लिए ब्रेड, बिस्कुट, दूध और उबला अंडा
बैद्यनाथ चौक स्थित डॉ. जनार्दन पुजारी मातृमंगल केंद्र में एक बार फिर से गड़बड़ी शुरु हो गयी है। प्रसव के लिए यहां भर्ती महिलाओं को पिछले तीन दिनों से भोजन के बजाए ब्रेड बिस्कुट दूध और उबले अंडे पर गुजारा करना पड़ रहा है ।
संवाद सूत्र, संबलपुर : बैद्यनाथ चौक स्थित डॉ. जनार्दन पुजारी मातृमंगल केंद्र में एक बार फिर से गड़बड़ी शुरु हो गयी है। प्रसव के लिए यहां भर्ती महिलाओं को पिछले तीन दिनों से भोजन के बजाए ब्रेड, बिस्कुट, दूध और उबले अंडे पर गुजारा करना पड़ रहा है । जबकि उनके साथ आये रिश्तेदारों को दिन और रात के भोजन के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से आम होटलों में ताला बंद है। बड़े होटलों से भोजन पैकिग कर दिया जा रहा है। ऐसे में आमलोगों के लिए महंगा भोजन खरीदना संभव नहीं हो रहा है। शहर में कुछ स्थानों पर चोरी छिपे होटल चलाया जा रहा है। लेकिन भोजन की क्वालिटी घटिया होने से लोग पसंद नहीं कर रहे।
गौरतलब है कि इस मातृमंगल केंद्र का संचालन संबलपुर महानगर निगम की ओर से किया जा रहा है। करीब आठ वर्षों तक बंद रहने के बाद इसे अप्रैल महीने में शुरु किया गया। जिला मुख्य अस्पताल को कोविड हॉस्पिटल के रुप में तब्दील किए जाने के बाद गर्भवती महिलाओं के लिए इस केंद्र को दोबारा शुरु किया गया और प्रसूति के लिए भर्ती महिलाओं के लिए आहार केंद्र से पांच रूपए वाली भोजन की व्यवस्था की गयी। आहार केंद्र का यह भोजन केवल गर्भवती और प्रसूति महिलाओं के लिए था। इसे लेकर उनके परिवारवालों ने शिकायत भी की, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। ऐसे में परिवार के लोगों को अपने बलबूते खाने और रहने की व्यवस्था करनी पड़ी। यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन बीते शुक्रवार से गर्भवती और प्रसूति महिलाओं को दिया जा रहा आहार केंद्र का भोजन भी बंद कर दिया गया है। ऐसे में, महिलाओं के लिए घर या होटल से भोजन लाया जा रहा है।
इस बारे में पूछे जाने पर महानगर निगम के प्रवर्तन अधिकारी शुभंकर महांती ने बताया है कि सरकार की ओर से केवल 17 मई तक कोविड- 19 रिलीफ प्रदान का निर्देश दिया गया था। इसी के बाद रिलीफ बंद किया गया है। जबकि बुर्ला हॉस्पिटल में रोजाना 1250 मरीजों के लिए आहार केंद्र की ओर से भोजन की व्यवस्था जारी है।
इसी तरह मातृमंगल केंद्र के अधीक्षक डॉ. सुशील दास के अनुसार प्रसूति महिला को ब्रेड का एक बड़ा पैकेट, 2 पैकेट बिस्कुट, दूध और उबला अंडा दिया जा रहा है। गौरतलब है कि सरकारी नियम के अनुसार, प्रसूति महिलाओं के लिए रोजाना चार प्रकार के खाद्य देने की जरुरत है। इसके लिए सरकार प्रति भोजन के लिए 84 रुपये खर्च भी करती है। लेकिन इसका लाभ अधिकांश महिलाओं को नहीं मिलने की बारंबार शिकायतें मिलती रही हैं।