जल संचय से ग्रामीणों के देवदूत बने हैं तुलाराम
देश में पानी की किल्लत इतनी हो चुकी है कि अब लोगों तक ट्रेन से पानी पहुंचाने की नौबत आ गयी है।
ज्योति कुमार लाट, बामड़ा : देश में पानी की किल्लत इतनी हो चुकी है कि अब लोगों तक ट्रेन से पानी पहुंचाने की नौबत आ गयी है। अब सरकारी स्तर से लेकर गैर सरकारी स्तर पर जल संचयन के लिए लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को पानी की बूंद के लिए तरसना न पड़े। लेकिन देश में ऐसे भी कुछ लोग हैं जिन्होंने दशकों पूर्व ही पानी का मोल समझ लिया था तथा जल संचयन की शुरुआत की। ऐसे ही एक बुजुर्ग हैं ओडिशा के संबलपुर जिले के बामड़ा ब्लॉक के बाबूनिकितमाल पंचायत के कंधबलंडा गांव के तुलाराम नायक। इन्होंने चार दशक पूर्व ही जल संचयन की महता भांप ली थी और अपने दम पर अपनी सात एकड़ जमीन पर पांच तालाब बनवाएं हैं। जिसका नाम उन्होंने पंच सागर दिया है। इसकी वजह से सूखा पड़ने से भी सिचाई के लिए अंचल के किसानों को पानी की किल्लत का सामना नहीं पड़ता है। ऐसे में तुलाराम इलाके के लोगों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं है।
पानी के लिए नहीं लेते एक भी रुपया: बुजुर्ग किसान तुलाराम नायक खेतीबाड़ी करने समेत मछली पालन का काम भी करते है। लेकिन पंचसागर से सिचाई के लिए पानी लेने वे किसी को मना नहीं करते और ना ही इसके लिए किसी तरह का शुल्क लेते हैं। पंच सागर में वर्ष तमाम पानी रहने से यहां के किसान धान की खेती करने के साथ-साथ सब्जियां भी उगाते हैं। क्योंकि पंच सागर से उन्हें आसानी से पानी मिलता है। इससे उन्हें अपनी आर्थिक अभिवृद्धि में भी मदद मिलती है।
कंधबलंडा की लाइफ लाइन बना पंच सागर : कंधबलंडा का यह पंच सागर यहां के किसानों के लिए किसी लाइफ लाइन से कम नहीं है। गत वर्ष कम बारिश के कारण यहां सूखा पड़ने से पंचसागर ही किसानों की फसल बचाने में काम आया। इस वर्ष भी मानसून कमजोर होने से अब तक पर्याप्त वर्षा न होने के बाद भी क्षेत्र के किसान पंचसागर की वजह से ज्यादा फिक्रमंद नहीं है।
कोट
गांवों में अधिकांश लोग खेती पर निर्भर रहते हैं। उनकी खेतीबारी बारिश पर आश्रित है। इस कारण स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार को गांवो में सिचाई के लिए पानी मुहैया कराने के लिए प्रभावी पहल करनी चाहिए। ताकि बारिश न होने पर भी ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत न रहे। इसके समेत लोगों को भी पानी का मोल समझकर जल संचयन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा।
-तुलाराम नायक, पंच सागर के निर्माता।