अब खल रही कोयल बैराज की कमी
सूबे में जल संरक्षण के लिये राज्य सरकार ने वर्षा जल संचयन रेन वाटर हारवेस्टिग को लेकर कई योजना बनायी हैं। लेकिन जल संरक्षण को लेकर सरकारी योजना व परियोजना का काम कच्छप गति से चलने के कारण आधा दशक बीत जाने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ओर राज्य में सरकारी व गैर सरकारी भवनों में रेन वाटर हारवेस्टिग का काम निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रहा है। वहीं कोयल नदी में बैराज बनाकर बारिश का पानी रोकने को लेकर कोयल बैराज बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में चली गयी है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला: सूबे में जल संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने वर्षा जल संचयन, रेन वाटर हार्वेस्टिग को लेकर कई योजना बनायी हैं। लेकिन जल संरक्षण को लेकर सरकारी योजना व परियोजना का काम कच्छप गति से चलने के कारण आधा दशक बीत जाने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ओर राज्य में सरकारी व गैर सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग का काम निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रहा है। वहीं कोयल नदी में बैराज बनाकर बारिश का पानी रोकने को लेकर कोयल बैराज बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में चली गयी है। जिससे छह साल पहले शिलान्यास करने के बाद भी बैराज का निर्माण नहीं हो सका है। जिस कारण बारिश के पानी से कोयल नदी लबालब होने के बाद भी यह पानी रोकने के लिए कोयल बैराज की कमी बुरी तरह से खल रही है।
2014 में मुख्यमंत्री ने किया था शिलान्यास: शहर में जल संकट दूर करने के साथ कोयल नदी के पास स्थित गांवों में सिचाई के लिये पानी पहुंचाने के इरादे से कोयल बैराज की परिकल्पना बनी थी। जिसमें गत 2014 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सेक्टर-20 में कोयल नदी के बैकुंठ घाट में आधार शिला रखी थी। लेकिन अब यहां पर केवल आधार शिला ही बची है, जबकि मुख्यमंत्री व अन्य नेताओं के नाम का फलक यहां से गायब हो चुका है।
विधानसभा में भी खूब गूंजा है कोयल बैराज का मुद्दा: कोयल बैराज का मुद्दा न केवल शहर की राजनीति को गरमाने वाला मुद्दा रहा है। बल्कि यह मुद्दा विधानसभा में भी खूब गूंजा है। जिसमें पूर्व विधायक दिलीप राय ने भी यह मुद्दा कई बार विधानसभा में उठाकर सरकार का ध्यानाकर्षण किया था। लेकिन इसके बाद भी कोयल बैराज पर स्थिति की जस की तस है तथा इस महत्वपूर्ण योजना के पूरा होने पर संशय बरकरार है।
बैकुंठ घाट से हमीरपुर में बैराज का स्थानांतरण: यह मुद्दा विधानसभा उठने के बाद विधानसभा के पटल पर इसका जवाब भी रखा गया था। जिसमें इस बैराज के शिलान्यास के चार साल बाद 2018 में बताया गया कि बैकुंठ घाट में जमीन की कीमत अधिक होने के कारण इसे हमीरपुर स्थानांतरित किया गया है। लेकिन हमीरपुर में इस बैराज के निर्माण का काम कब शुरू होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
रेन वाटर हार्वेस्टिग में भी लक्ष्य से पीछे है सूबे की सरकार: सूबे की सरकार ने गत 2014 में रेन वाटर हार्वेस्टिग की योजना शुरू की है। लेकिन इस योजना में पांच सालों में जितने सरकारी व गैर सरकारी भवनों में इस योजना को कार्यकारी करने का लक्ष्य रखा गया था। उस लक्ष्य से भी सूबे की सरकार पिछड़ गयी है।