ITI College की दो दर्जन छात्राएं बीमार, खाना खाने के बाद बिगड़ी तबीयत
दीन दयाल उपाध्याय स्किल ट्रेनिंग ले रही दो दर्जन छात्राओं को भोजन करने के बाद पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हो गई।
राउरकेला, जेएनएन। सेक्टर-2 के एनआइटी के पीछे स्थित दलपोष में एक निजी आइटीआइ कॉलेज के छात्रावास में रह कर भारत सरकार के दीन दयाल उपाध्याय स्किल ट्रेनिंग ले रहीं दो दर्जन छात्राएं देर रात भोजन करने के बाद बीमार पड़ गईं। इस दौरान इन छात्राओं को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत होने पर पहले जगदा स्थित सीडब्ल्यूसी अस्पताल ले जाया गया।
जहां से सभी को सेक्टर- 19 स्थित इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) में इलाज के लिए भर्ती कराया गया।जहां चिकित्सकों ने सभी 16 छात्राओं का इलाज करने के बाद हालत में सुधार होने पर रात को छोड़ दिया गया। जबकि सुनीता महतो, ममता गंजू, अनुपमा एक्का, आशा डुंगडुंग, प्रेमिका सांत, कृपा जोजो, सुनीता ओराम व प्रीति मल्लिका को अस्पताल में रखकर इलाज किया गया।
इस संबंध में छात्राओं ने बताया कि रविवार को सुबह छात्रावास में सभी ने मांसाहारी भोजन किया था। जिसके बाद रात में 59 छात्राओं ने सब्जी, दाल, भात खाया था। जबकि छात्रावास में रहने वाले 31 लड़कों ने रात का भोजन नहीं किया। अचानक छात्रावास की इन लड़कियों के पेट में दर्द होने के साथ उल्टी होने लगा। छात्रावास के छात्र तथा छात्राओं ने इसकी सूचना तुरंत वहां के शिक्षक रामकृष्ण जेना, स्किल ट्रेनिंग निदेशक जयकृष्ण साहु को दी। सूचना पाते ही इन लोगों ने सभी को इलाज के लिए पहले सीडब्ल्यूसी अस्पताल तथा बाद में आइजीएच में इलाज के लिए भर्ती कराया।
छात्राओं ने रात का भोजन दूषित होने की आशंका जतायी। जबकि निदेशक जयकृष्ण साहु का कहना है कि रविवार को दिन होने के कारण छात्राओं को बाहर जाने दिया जाता है। ताकि वे अपनी जरूरत का सामान खरीद सके। उन्होंने इस दौरान कुछ छात्राओं के बाहर का फास्ट फूड खाने से ऐसी हालत होने की आशंका जतायी। उन्होंने इलाज में कोई कोताही नहीं बरते जाने की बात कही। इधर, सोमवार को इलाजरत सभी छात्राओं की हालत में सुधार होने के कारण अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया। सोमवार को उक्त छात्रावास में आंगनबाड़ी के कर्मचारी पहुंच कर छात्राओं की सुध ली।
गौरतलब है कि भारत सरकार के दीन दयाल उपाध्याय स्किल ट्र्रेनिंग योजना के तहत ग्रामीण अंचल के एसी- एसटी छात्र-छात्राओं को आत्मनिर्भरशील बनाने के लिए इस संस्था में छह माह का ट्र्रेनिंग दिया जा रहा है। जिसका सारा खर्च सरकार वहन कर रही है। ट्र्रेनिंग समाप्त होने के बाद ट्र्रेनिंग पाने वाले छात्र-छात्राएं खुद रोजगार करने में सक्षम होते है।