कागज पर हुनरमंद हो रहे बेरोजगार युवा
कुमुदिनी लकड़ा घर राजगांगपुर ब्लॉक। उसे 2017-18 में सौंदर्य प्रशिक्षण के लिए जिला एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी (आइटीडीए) द्वारा नामित किया गया था।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : कुमुदिनी लकड़ा, घर राजगांगपुर ब्लॉक। उसे 2017-18 में सौंदर्य प्रशिक्षण के लिए जिला एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी (आइटीडीए) द्वारा नामित किया गया था। फिर उन्हें राउरकेला के एक ब्यूटी केयर सेंटर में तीन महीने तक प्रशिक्षित किया गया। इसी तरह एक और युवती है, तारिणी ओराम। घर टांगरपाली ब्लॉक में है। उन्हें आइटीडीए द्वारा 2016-17 में ड्राइवर-कम-मैकेनिक के रूप में प्रशिक्षित किया गया था। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, आइटीडीए ने इसके लिए प्रति व्यक्ति लगभग 20,000 रुपये खर्च किए। सच तो यह है, इन दो बेरोजगारों का प्रशिक्षण केवल कागज कलम तक ही सीमित है। इन्हें प्रशिक्षित नहीं किया गया।
कुमुदिनी लकड़ा ने बताया कि मुझे सौंदर्य की देखभाल में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए मैंने इसके लिए आवेदन नहीं किया। प्रशिक्षण का तो कोई सवाल ही नहीं है। दूसरी तरफ, ओराम ने ड्राइविग प्रशिक्षण के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे प्रशिक्षण के लिए नहीं बुलाया गया। इसलिए वे बताते है कि उसे इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है। ऐसे मामले जिले में कई सारे है। जिले के सैकड़ों शिक्षित युवाओं को रोजगार देने के लिए सुंदरगढ़ आइटीडीए के अभियान की यह एक बानगी है।
आइटीडीए या एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी शिक्षित आदिवासी युवाओं को रोजगार देने और प्रदान करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से कौशल विकास का प्रशिक्षण दे रही है। ताकि रोजगार न मिलने पर बाहरी राज्यों की ओर रूख कर रहें बेरोजगारों को जिले में ही रोका जा सके तथा कार्य उपलब्ध कराया जा सके। विशेष रूप से, कंप्यूटर हार्डवेयर, ड्राइविग, आतिथ्य और स्वास्थ्य देखभाल, डीटीपी, टैली, मोबाइल मरम्मत, सुरक्षा गार्ड, सिलाई, मूर्तिकला और इलेक्ट्रीशियन आदि क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साल 2017-18 में, विभिन्न चरणों में ब्यूटीकेयर में 76, सिलाई में 53, आतिथ्य में 103, मोबाइल मरम्मत में 98, सुरक्षा गार्ड में 50, ड्राइविग में 91, स्वास्थ्य देखभाल में 113, डीटीपी में 100, टैली में 112. डाटा एंट्री ऑपरेटर में 30 तथा इलेक्ट्रीशियन में 25 को प्रशिक्षित किए जाने की बात संस्था की ओर से दर्शायी गई है। लेकिन वास्तविकता में अधिकांश को केवल कागज कलम में ही प्रशिक्षित किया गया है। जबकि इसके लिए मोटी राशि का बिल दिया गया है। यह राशि प्रशिक्षण प्रदान करने वाली संस्थाओं को प्रदान किए जाने की बात दर्शाए जाने के बावजूद फर्जी बिल के जरिए मोटी रकम का गोलमाल किए जाने का संदेह किया जा रहा है।
वर्ष 2017-18 में कंप्यूटर हार्डवेयर प्रशिक्षण के लिए 2,22,750 रुपये, ड्राइविग के लिए 21,20,200 रुपये, अतिथि और स्वास्थ्य देखभाल के लिए 52,41,360 रुपये, डीटीपी के लिए 32,38,207 रुपये, टैली के लिए 67,57,192 रुपये, मोबाइल मरम्मत के लिए 6,07,446 रुपये, सुरक्षा गार्ड प्रशिक्षण के लिए 7,80,000 रुपये, सिलाई के लिए 9,28,800 रुपये, व्यूटीशियन के लिए 12,18,317 रुपये, घरेलू विद्युत मरम्मत प्रशिक्षण पर कुल 4.53 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।