प्रवासी मजदूरों के लिए जनजातीय समृद्धि परियोजना शुरू
कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी खो चुके प्रवासी आदिवासी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिले में जनजातीय समृद्धि परियोजना की शुरुआत की गई है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी खो चुके प्रवासी आदिवासी युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिले में जनजातीय समृद्धि परियोजना की शुरुआत की गई है। इसका मुख्य लक्ष्य रोजगार की तलाश में पलायन करने वाले मजदूरों की समस्या का समाधान करना है। साथ ही जनजातीय लोगों की आर्थिक व सामाजिक विकास करना है। इसके तहत जनजातीय समाज में प्रचलित देसी मुर्गी पालन को विकसित करना, कड़कनाथ मुर्गी पालन के माध्यम से आदिवासी युवकों को आत्मनिर्भर बनना है। सुंदरगढ़ के बांदपल्ली मुर्गी के चूजे उपलब्ध कराने के लिए इस परियोजना के तहत कड़कनाथ प्रजनन केंद्र व देसी ज्ञान कौशल के तहत निर्मित 2000 क्षमता वाला इंकुवेटर का निर्माण किया गया। घर के पीछे स्थित बगान में फलों के पेड़ क्रमश: आम, सजना, पपीता, अमरूद, कटहल, नींबू जैसे फसलों की खेती कर जनजातीय व्यक्ति स्वाबलंबी हो पाएगा, इसके लिए चारा उत्पादन केंद्र की भी स्थापना की गई है। आदिवासियों को पशु संपदा की स्वास्थ्य समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए पशु चिकित्सालय व उनके पशु संपदा का सही मूल्य मिले इसके लिए नवज्योति लाइवली को-आपॅरेटिव सोसाइटी का गठन किया गया है। इतना ही नहीं आदिवासियों को नशा से मुक्ति दिलाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई है। सुंदरगढ़ के बांदपल्ली से इस योजना का शुभारंभ किया गया है। सुंदरगढ़ विधायक कुसुम टेटे, तलेसरा विधायक भवानी भोई, आरएसएस के पूर्व क्षेत्र सेवा प्रमुख जगदीश प्रसाद खडंगे, विभाग प्रचारक सुब्रत सामंतराय, अधिवक्ता परिषद के राज्य परिषद सदस्य प्रदीप महांती और नवज्योति परियोजना के सचिव सव्यसाची पृषेठ ने इस परियोजना का उद्घाटन किया। गोवा से लौटे प्रवासी मजदूर गौरव डुंगडुंग को 20 कड़कनाथ के तहत मुर्गी के बच्चों के साथ फलदार पौधों की सात प्रजातियों का वितरण कर इसकी शुरुआत की गई है। प्रवासी मजदूरों की पहचान कर उन्हें इस योजना में शामिल किए जाने का कार्य किया जा रहा है। अब तक 100 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों की पहचान कर उन्हें सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है।