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राष्ट्र दमन के खिलाफ संघर्ष की पहचान है पुरस्कार: प्रफुल्ल्

इस पुरस्कार के लिए उन्हें जिस प्रकार सम्मानित करने का दौर चला है, उससे उन्हें डर है कि वे कहीं अपने लक्ष्य से भटक न जाएं

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 30 Jun 2017 02:02 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jun 2017 02:02 PM (IST)
राष्ट्र दमन के खिलाफ संघर्ष की पहचान है पुरस्कार: प्रफुल्ल्
राष्ट्र दमन के खिलाफ संघर्ष की पहचान है पुरस्कार: प्रफुल्ल्

राउरकेला, जागरण संवाददाता। अमेरिका में पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन नोबल पुरस्कार से सम्मानित प्रफुल्ल सामंतरा ने बुधवार को कहा कि इस पुरस्कार से राष्ट्र दमन के खिलाफ संघर्ष को वैश्विक पहचान मिली है। केवल वे ही इस पुरस्कार के हकदार नहीं है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा, खदान व जंगलों की सुरक्षा के लिए संघर्ष एवं जन आंदोलन से जुड़े सभी लोगों का यह पुरस्कार है। उन्होंने आगामी दिनों में पर्यावरण की सुरक्षा के खिलाफ अपना अभियान जारी रखने का आह्वान किया। वे सिविक सेंटर में अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार से जंगल, खदान व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए चलने वाले आंदोलन को वैश्विक पहचान तो मिली है लेकिन इस पुरस्कार के लिए उन्हें जिस प्रकार सम्मानित करने का दौर चला है, उससे उन्हें डर है कि वे कहीं अपने लक्ष्य से भटक न जाएं।

कहा कि नियमगिरी के खदान व जंगलों समेत वहां के आदिवासियों की हितों की सुरक्षा के लिए आंदोलन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में फैसला दिया था। उन्होंने आगामी दिनों में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लगातार गणतांत्रिक आंदोलन करने पर जोर दिया। साथ ही देश में पूंजीवाद का राज खत्म करने तथा गणतंत्र को बचाने के लिए देश के नागरिकों से सचेत होने का आह्वान किया। 

बीरमित्रपुर विधायक जार्ज तिर्की ने प्रफुल्ल सामंतरा से पहले संपर्क का जिक्र किया। कहा कि कलिंगनगर में 13 आदिवासियों की मौत के बाद चले आंदोलन के समय वे सामंतरा के संपर्कमें आए। विधायक ने सामंतरा को भरोसा दिलाया कि वे सुंदरगढ़ जिले में खदान व जंगलों की सुरक्षा, विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे।

समारोह में नीलशैल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. मिश्र, गुजरात से आए आदिवासी एकता परिषद के अध्यक्ष अशोक चौधरी, गुजरात के पूर्व सांसद अमर सिंह चौधरी, आदिवासी दरबार के आद्य गोमांग, आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच के जवलून एक्का, अगस्तुन लुगून, खंडाधार संग्राम समिति के झरा नायक, अनादि महांत आदि ने भी अपने विचार रखे और पर्यावरण सुरक्षा, जंगल व खदान की रक्षा, विस्थापन विरोधी संग्राम के लिए प्रफुल्ल सामंतरा की सराहना की। इसके पूर्व गाजे-बाजे के साथ ग्रीन नोबल पुरस्कार विजेता प्रफुल्ल सामंतरा को समारोह स्थल तक लाया गया।

विभिन्न संगठनों ने किया सामंतरा का अभिनंदन: ग्रीन नोबल विजेता प्रफुल्ल सामंतरा को श्रमिक संगठनों तथा अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा भी अभिनंदन किया गया। इनमें एटक के प्रभात मिश्र, सीटू के बसंत नायक, सियर के बीएन दाश व एसके नायक, रिक्स के विवेकानंद महांत, किस के अनिल मिश्र, एआइसीसीटीयू के एनके महंती, यूटीयूसी-आरडब्ल्यूयू के सत्यप्रिय महंती, एसयूसीआइ की छवि महंती, आएमएस के खगेंद्र बेहरा, सुंदरगढ़ जिला शिल्पांचल श्रमिक सभा के दिगंबर महंती, पूज्य पूजा समिति की श्रद्धा षाड़ंगी, गांगपुर मजदूर मंच के गोपाल दास, सुरेंद्र कंसारी, जयप्रकाश विचार मंच, बीरमित्रपुर के जगदीश अग्रवाल, झारखंड की अमन महिला संगठन आदि शामिल हैं।

अब तक छह भारतीय हुए पुरस्कृत

अब भारत के छह नागरिकों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इनमें वर्ष 1992 में नर्मदा बचाओ आंदोलन की पुरोधा मेधा पाटेकर, 1996 में प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले वकील महेश मेहता, वर्ष 2004 में भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली राशि बीवी व चंदा देवी शुक्ला तथा वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में जिंदल स्टील प्लांट के खिलाफ संघर्ष करने वाले रमेश अग्रवाल और अब पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले प्रफुल्ल सामंतरा को ग्रीन नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।

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