जिदगी की जंग हार गए गरीबों के मसीहा डा. एसके घोष
नगर के जाने माने सर्जन व भारत सेवा आश्रम संघ से जुड़कर बस्ती क्षेत्र के गरीबों का मुफ्त में इलाज करने वाले डा. एसके घोष 90 साल की उम्र में जिदगी की जंग हार गए।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : नगर के जाने माने सर्जन व भारत सेवा आश्रम संघ से जुड़कर बस्ती क्षेत्र के गरीबों का मुफ्त में इलाज करने वाले डा. एसके घोष 90 साल की उम्र में जिदगी की जंग हार गए। लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार की रात को लाइफ लाइन अस्पताल में अंतिम सांस ली एवं वेदव्यास त्रिवेणी संगम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, हिदू मिलन मंदिर, भारत सेवाश्रम संघ समेत अन्य संगठनों के सदस्यों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सिविल टाउनशिप स्थित निवास पर बड़ी संख्या में लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए।
28 मई 1931 को जन्मे डा. सतिकांत घोष ने पटना मेडिकल कालेज से एमबीबीएस व एमएस की डिग्री लेने के बाद ग्लास्गो यूके व एडनबिरा से एफआरसीएस की डिग्री लेकर आरएसपी अधीनस्थ आइजीएच में सेवा शुरू की। गरीबों की सेवा के लिए उन्होंने सेवानिवृत्ति से पहले ही नौकरी छोड़ दी एवं रामकृष्ण मिशन संघ एवं भारत सेवा श्रम संघ से जुड़ गए। गोपबंधुपल्ली, टिबर कालोनी, मधुसूदनपल्ली तथा सेक्टर इलाके की विभिन्न बस्तियों में जाकर तब तक इलाज करते रहे जब तक उनका शरीर साथ देता रहा। राउरकेला में कैंसर का इलाज हो, इसके लिए उन्होंने पूरी जिदगी की कमाई तीन करोड़ से अधिक की संपत्ति एवं सिविल टाउनशिप स्थित आवास फाउंडेशन को दान में दिया एवं गोपपाली में निर्माणधीन कैंसर अस्पताल के लिए आजीवन लगे रहे। डा. घोष के निधन से शहर में शोक की लहर है। विधायक शारदा प्रसाद नायक, भारत सेवाश्रम पुष्पांजलि अस्पताल के सचिव स्वामी अंबिकानंद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डा. बीडी महापात्र, डा. पी लाल, डा. एसके अग्रवाल, हिदू मिलन मंदिर के उज्जवल राय, रंजीत राय, भारत सेवाश्रम के सदस्य विनय सिंह, दीप साहू, रंजीत मंडल प्रमुख ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सिविल टाउनशिप निवास से अंतिम यात्रा निकलकर आइएमए हॉल पहुंची। यहां से वेदव्यास घाट में अंतिम संस्कार किया गया। दामाद संजय बोस ने उन्हें मुखाग्नि दी।